इतनी सस्ती महंगाई पहले कभी नहीं… अक्टूबर में 0.25% पर आ गया रेट,
2012 के बाद पहली बार रिकॉर्ड गिरावट
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
महंगाई के मोर्चे पर आम जनता के लिए राहत की बड़ी खबर आई है। केंद्र सरकार के मुताबिक, अक्टूबर 2025 में देश की खुदरा महंगाई दर 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) की मौजूदा सीरीज में यह जनवरी 2012 के बाद सबसे कम महंगाई दर है। सरकार ने कहा है कि GST दरों में कटौती, खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी और बेस इफेक्ट के कारण यह गिरावट देखने को मिली है।
खाने-पीने की चीजों में आई भारी गिरावट राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा बुधवार, 12 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें अक्टूबर में 3.7% तक घटीं, जबकि सितंबर में यह गिरावट 1.4% थी। इस वित्त वर्ष के सात महीनों में से चार महीनों में फूड प्राइस में गिरावट दर्ज की गई है। सरकार का कहना है कि अनाज, सब्जियों और दूध जैसी जरूरत की चीजों के दाम में स्थिरता आई है, जिससे खुदरा महंगाई पर सीधा असर पड़ा है।
कुछ सेक्टरों में अब भी बनी हुई है बढ़ोतरी हालांकि खाद्य वस्तुओं में राहत के बावजूद कुछ सेक्टरों में महंगाई बढ़ी है।
ईंधन और रोशनी की महंगाई 2% रही, जबकि पिछले साल इसी महीने यह -1.7% थी।
हाउसिंग सेक्टर में महंगाई 3% दर्ज की गई, जो पिछले साल 2.8% थी।
अन्य सेवाओं में दर 5.7% तक पहुंच गई, जो पिछले साल 4.3% थी। वहीं कपड़े और जूतों की कीमतों में थोड़ी कमी आई है पिछले साल 2.7% के मुकाबले इस साल यह 1.7% रही।
कैसे निकाली जाती है महंगाई दर महंगाई दर निकालने के लिए सरकार Consumer Price Index (CPI) का इस्तेमाल करती है। इसके तहत खाने-पीने की चीजें, ईंधन-रोशनी, हाउसिंग, कपड़े-जूते, पान-तंबाकू और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों का औसत निकाला जाता है। हर श्रेणी को अलग-अलग वेटेज (Weightage) दिया जाता है जिसमें 45% हिस्सा खाने-पीने की वस्तुओं का होता है। इसके बाद सरकार इस साल और पिछले साल की कीमतों का अंतर निकालती है, और उसी का प्रतिशत खुदरा महंगाई दर कहलाता है।
बेस ईयर और बेस इफेक्ट का रोल CPI का बेस ईयर वर्तमान में 2012 है। इसका मतलब है कि कीमतों की तुलना 2012 के स्तर से की जाती है। अगर किसी साल महंगाई दर बहुत अधिक रही हो और उसके अगले साल कीमतें स्थिर हो जाएं, तो इसे बेस इफेक्ट कहा जाता है। इसी कारण इस बार अक्टूबर 2025 की दर इतनी कम रही, क्योंकि पिछले साल इसी महीने महंगाई काफी ज्यादा थी।
महंगाई घटने से आम लोगों को राहत की उम्मीद विशेषज्ञों का कहना है कि 0.25% की यह दर न सिर्फ रिकॉर्ड है बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए राहत का संकेत भी है। आने वाले महीनों में अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो आवश्यक वस्तुओं के दाम स्थिर रहने की उम्मीद है। सरकार का दावा है कि GST में कटौती और खाद्य सप्लाई की बेहतर व्यवस्था ने कीमतों को काबू में रखने में मदद की है।