पहलगाम हमले के बाद फिर चर्चा में NSA,
जानिए कौन होते हैं और अब तक कितने लोग बने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ?
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले ने एक बार फिर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की भूमिका को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। यह हमला ऐसे समय पर हुआ है जब घाटी में अमरनाथ यात्रा की तैयारियाँ जोरों पर हैं और सुरक्षा एजेंसियाँ अलर्ट मोड में हैं। आइए अब हम आगे NSA और उसकी भूमिका के बारे में जानते हैं…
क्या होता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत सरकार का एक प्रमुख पद है, जो प्रधानमंत्री को आंतरिक और बाह्य सुरक्षा मामलों पर सलाह देता है। इसका कार्यक्षेत्र आतंकवाद, सीमा सुरक्षा, रणनीतिक संबंधों और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक फैला हुआ है। NSA प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के तहत काम करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) का प्रमुख होता है।
अब तक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और उनका कार्यकाल:
- ब्रजेश मिश्रा (1998 – 2004)
भारत के पहले NSA, जो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में नियुक्त हुए थे। कारगिल युद्ध और उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षणों के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- जे.एन. दीक्षित (2004 – 2005)
पूर्व राजनयिक दीक्षित, मनमोहन सिंह सरकार में NSA बने, लेकिन उनका कार्यकाल अचानक निधन के कारण छोटा रहा।
- एम.के. नारायणन (2005 – 2010)
लगभग पांच साल तक NSA की भूमिका में रहे नारायणन खुफिया एजेंसियों का लंबा आनुभव रखते हैं। इन्होने (26/11) मुंबई हमलों के दौरान अहम भूमिका निभाई थी।
- शिवशंकर मेनन (2010 – 2014)
परमाणु नीति और चीन मामलों के विशेषज्ञ, मेनन ने भारत की रणनीतिक नीति को संतुलित दृष्टिकोण प्रदान किया।
- अजित डोभाल (2014 – वर्तमान)
पूर्व IB निदेशक और ऑपरेशनल रणनीतियों के माहिर, डोभाल के नेतृत्व में भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे कदम उठाए। इनका कार्यकाल अब तक सबसे लंबा रहा है और वे सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त रणनीतिकार माने जाते हैं।
पहलगाम हमला और NSA की भूमिका
28 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में लगभग 27 पर्यटक घायल हुए। यह हमला ऐसे समय हुआ जब NSA अजित डोभाल हाल ही में कश्मीर की सुरक्षा समीक्षा बैठक में शामिल हुए थे। सूत्रों के मुताबिक, डोभाल ने घाटी में आतंकी गतिविधियों की नई रणनीतियों को लेकर सुरक्षा बलों को पहले ही सतर्क कर दिया था। देश में पहलगाम हमले के बाद बने हालातों के बीच ऐसे मामलों में NSA की भूमिका केवल खुफिया जानकारी जुटाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि जवाबी रणनीति बनाना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाना और स्थानीय प्रशासन को समन्वयित करना भी इसी पद के दायरे में आता है।