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इंदिरा गांधी बनाम मोदी सरकार : किसके समय भारत ज्यादा मजबूत, जिसे इंदिरा ने दिखाई थी आंख, आज उसी के इशारे पर युद्धविराम क्यों...ये सीजफायर है या सरेंडर?

1 months ago
Written By: Sushant Pratap Singh

7 मई को LOC पर भारी गोलीबारी, 8 और 9 मई को बॉर्डर इलाकों में बढ़ता तनाव, गांव खाली कराए जाते हैं, और फिर 10 मई की शाम अचानक भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण संघर्षविराम का ऐलान हो जाता है। इस तेज़ी से बदले घटनाक्रम ने हर किसी को चौंका दिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठता है — क्या भारत अब भी 1971 वाला वही देश है जिसने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे, या आज की विदेश नीति वैश्विक दबावों में झुकने लगी है?

अमेरिका ने किया भारत पाक के बीच हुए सीजफायर का ऐलान 
10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक एक सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान ने अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद फुल और इमीडिएट सीजफायर पर सहमति जताई है। उनके बयान के चंद मिनट बाद ही भारत और पाकिस्तान दोनों सरकारों ने इस संघर्षविराम की पुष्टि कर दी। 

बॉर्डर पर कराए गए थे कई गांव खाली 
सीजफायर के ठीक तीन दिन पहले यानी 7 मई की सुबह भारतीय सेना ने आधिकारिक रूप से बताया था कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत उसने 6 और 7 मई की रात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई आतंकी ठिकानों पर हमले किए थे। भारतीय हमलों के जवाब में पाकिस्तान ने भी भारी गोलीबारी की और सीमा पर युद्ध जैसे हालात बन गए थे। कई गांव खाली कराए गए, नागरिकों की जानें गईं और हालात हर घंटे बिगड़ते जा रहे थे। लेकिन फिर अचानक दोनों देशों के बीच शांति का ऐलान हो जाता है। 

सोशल मीडिया पर लोगों को याद आई इंदिरा गांधी
भारत - पाकिस्तान के बीच सीजफायर का ऐलान होने के बाद सोशल मीडिया पर सवालों की बाढ़ आ गई। लोगों ने पूछा कि जब भारतीय सेना आक्रामक मूड में थी और दुश्मन पर भारी पड़ रही थी, तो फिर इतनी जल्दी पीछे क्यों हटे? क्या अमेरिका के दबाव में ये फैसला लिया गया? जिसके बाद इस बहस को कांग्रेस ने और गर्मा दिया। कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के समय की तुलना करते हुए एक पुरानी तस्वीर शेयर की, जिसमें इंदिरा अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के साथ दिखाई दे रही थीं। जिसके कैप्शन में लिखा था — “हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी है। हमारे पास इच्छाशक्ति और संसाधन हैं कि हम हर अत्याचार का सामना कर सकते हैं। वो वक्त चला गया जब कोई देश हजारों मील दूर बैठकर हमें आदेश दे सकता था।”

इंदिरा गांधी ने बदल दिया था नक्शा
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सीजफायर पर बयान दिया कि इंदिरा गांधी ने 1971 में पूरे उपमहाद्वीप का नक्शा बदल दिया था। आज सिर्फ पाकिस्तान पर गोले दागने से कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं निकलता। वहीं सोशल मीडिया पर विकास दिव्यकीर्ति का एक पुराना वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वे कहते हैं — “एक महिला प्रधानमंत्री थीं जिन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। आजकल लोग बस कहते हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक कर देंगे। इंदिरा गांधी ने कुछ कहा नहीं, सीधे कर दिया।”

1971 और अब में जमीन-आसमान का अंतर 
हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि 1971 और 2025 की परिस्थितियों में जमीन-आसमान का फर्क है। उस समय भारत के साथ सोवियत संघ पूरी मजबूती से खड़ा था और पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार नहीं थे। लेकिन आज पाकिस्तान एक न्यूक्लियर पावर है, अमेरिका और चीन जैसे देश दक्षिण एशिया की राजनीति में ज्यादा एक्टिव हैं और रूस की स्थिति भी पहले जैसी मजबूत नहीं रही। इसलिए आज के भारत को युद्ध नहीं, बल्कि रणनीति, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संतुलन के साथ फैसले लेने पड़ते हैं।

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