PSLV-C61 के तीसरे चरण में आई तकनीकी खामी,
ISRO का EOS-09 मिशन फेल
1 months ago
Written By: NEWS DESK
EOS-09 Satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा रविवार सुबह लॉन्च किया गया EOS-09 मिशन असफल हो गया। यह मिशन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 5:59 बजे PSLV-C61 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था। यह PSLV की 63वीं उड़ान और PSLV-XL कॉन्फिगरेशन की 27वीं उड़ान थी। EOS-09 सैटेलाइट ISRO का 101वां मिशन था, लेकिन तकनीकी खामी के चलते यह मिशन अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया।
तीसरे चरण में आई गड़बड़ी
इस मामले पर जानकारी देते हुए ISRO चीफ वी. नारायणन ने बताया कि, “PSLV-C61 की पहली और दूसरी चरण की उड़ान सामान्य रही, लेकिन तीसरे चरण में गड़बड़ी आने के कारण EOS-09 सैटेलाइट को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका। लॉन्चिंग के लगभग 17 मिनट बाद EOS-09 को सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट (SSPO) में स्थापित किया जाना था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका।”
EOS-09 की विशेषताएं
मिली जानकारी के मुताबिक, “EOS-09 सैटेलाइट को रिमोट सेंसिंग डेटा उपलब्ध कराने और विशेष रूप से घुसपैठ या संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी के लिए डिजाइन किया गया था। यह मिशन पहले लॉन्च किए गए RISAT-1 का फॉलो-ऑन मिशन था। EOS-09 में सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जो इसे हर मौसम और किसी भी समय – दिन हो या रात – हाई रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम बनाता है।” अगर बात और खूबियों की करें तो, “सैटेलाइट का वजन 321 टन और ऊंचाई 44.5 मीटर थी। इसे 4 चरणों में डिजाइन किया गया था और इसकी मिशन लाइफ 5 साल तय की गई थी। इस सैटेलाइट के जरिए आतंकवाद विरोधी अभियानों, सीमा निगरानी और आपदा प्रबंधन में सहायता मिलने की उम्मीद थी।”
भविष्य की तैयारी: मिशन निसार
फिलहाल इस असफलता के बाद ISRO अब GSLV-F16 के जरिए NASA-ISRO संयुक्त परियोजना 'निसार' को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। यह सैटेलाइट पृथ्वी की सतह, पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले बदलावों को ट्रैक करेगा। डबल बैंड रडार तकनीक से लैस यह मिशन जलवायु परिवर्तन पर विस्तृत और वैश्विक डेटा प्रदान करेगा।