कम खर्च में ज्यादा मुनाफा चाहिए तो ले आइए जफराबादी बाहुबली भैंस, दूध में फैट ज्यादा,
देखभाल में टेंशन कम, जल्द बन जाएंगे मालामाल
2 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Farming News: ग्रामीण भारत में अब खेती के साथ-साथ पशुपालन भी किसानों की आय का मजबूत जरिया बनता जा रहा है। बदलते समय के साथ किसान अब सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि वे गाय, भैंस, बकरी और मुर्गी पालन जैसे उपायों को अपनाकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। दूध, अंडा और मांस जैसी वस्तुएं न केवल उन्हें बाजार से जोड़ रही हैं, बल्कि उनकी कमाई को भी दोगुना कर रही हैं।
सरकार दे रही है योजनाओं से मजबूती
पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं। इन योजनाओं के जरिए पशुपालकों को आर्थिक सहायता, ट्रेनिंग और तकनीकी जानकारी दी जा रही है। इससे न केवल किसानों को नई दिशा मिल रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।
जफराबादी नस्ल: कम लागत, ज्यादा मुनाफा
रायबरेली जिले के शिवगढ़ में स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. आई. जे. वर्मा बताते हैं कि भैंस पालन में जफराबादी नस्ल किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो रही है। गुजरात के जाफराबाद क्षेत्र से आने वाली यह नस्ल अब उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक लोकप्रिय हो चुकी है।
दूध उत्पादन में सबसे आगे
जफराबादी नस्ल की भैंस प्रतिदिन औसतन 15 से 16 लीटर दूध देती है। इसके दूध में वसा की मात्रा भी ज्यादा होती है, जो बाजार में बेहतर कीमत दिलाती है। एक बार के दूध देने के चक्र में यह नस्ल लगभग 3000 से 3500 लीटर तक दूध देती है, जो इसे बेहद उत्पादक बनाता है।
कम देखरेख में बेहतर फायदा
इस नस्ल की भैंस का वजन आमतौर पर 800 से 1000 किलोग्राम तक होता है और यह लगभग हर वातावरण में खुद को ढाल लेती है। इसकी देखरेख में ज्यादा खर्च नहीं आता, जिससे छोटे और मध्यम किसानों के लिए यह नस्ल खास लाभकारी बन जाती है।
बाहुबली भैंस के नाम से भी मशहूर
डॉ. वर्मा बताते हैं कि जफराबादी भैंस की पहचान उसके बड़े सिर, गर्दन की ओर मुड़े सींग, लंबे और झुके हुए कानों से की जा सकती है। इसकी आंखें बड़ी और चमकदार होती हैं और शरीर बेहद मजबूत होता है, इसीलिए इसे लोग बाहुबली भैंस के नाम से भी जानते हैं। बाजार में इसकी कीमत करीब 80,000 से 1 लाख रुपये तक जाती है।