जापान का योनागुनी मिसाइल कदम: ताइवान के पास तनाव बढ़ा,
कोइज़ुमी का बयान
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
जापान ने दक्षिणी द्वीप योनागुनी के पास मिसाइल तैनाती की योजना तेज कर दी है। रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी ने कहा है कि इस तैनाती से ‘हमले की संभावना कम होगी, नहीं बढ़ेगी।’ योनागुनी ताइवान के बेहद करीब है — लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर। यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के इरादे से बताया जा रहा है, पर इससे चीन- जापान और अमेरिका के रिश्तों में नई कड़वाहट पैदा हुई है। जापान पहले ही इशिगाकी द्वीप पर एंटी-शिप मिसाइल और मियाको पर एयर सर्विलांस सिस्टम तैनात कर चुका है। कोइज़ुमी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह सबसे गंभीर सुरक्षा माहौल है और जापान-अमेरिका को मिलकर ‘डिटरेंस’ बढ़ानी होगी।
योनागुनी तैनाती और जापानी दलील योनागुनी पर मिसाइल तैनाती को जापानी सरकार ने क्षेत्रीय रक्षा के हिस्से के तौर पर पेश किया है। रक्षा मंत्री ने बार-बार कहा कि यह रक्षात्मक कदम है। जापान ताइवान के नज़दीक अपनी सुरक्षा श्रृंखला को मज़बूत कर रहा है ताकि नौसैनिक और हवाई खतरों से निपटा जा सके। कोइज़ुमी का कहना है कि यह कदम किसी आक्रामक नीति का संकेत नहीं है।
चीन की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक तनाव चीन ने जापानी कदम और हालिया टकराव पर तीखी निंदा की है। कुछ जापानी राजनेताओं की ताइवान संबंधी टिप्पणियों को चीन ने उकसाने वाला बताया है। इसके चलते आर्थिक और राजनयिक दबाव भी बढ़े हैं। क्षेत्रीय माहौल में संदेह और असुरक्षा बढ़ी है।
अमेरिका-ताइवान संबंध और आर्थिक दबाव इधर अमेरिका ने ताइवान पर दबाव बढ़ाया है। अमेरिकी प्रशासन ने चिप्स और रक्षा बजट से जुड़ी मांगें रखीं हैं। अमेरिका ने ताइवान से सेमीकंडक्टर निर्माण में अधिक योगदान और कुछ उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने जैसे कदम उठाये हैं। ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ और चिप सप्लाई शिफ्ट के लक्ष्य रखे हैं, जबकि ताइवान तत्काल इतना बड़ा बदलाव करना मुश्किल बता रहा है। अमेरिका की मांग है कि ताइवान रक्षा खर्च बढ़ाये — कुछ रिपोर्टों में 10% तक का सुझाव दिया गया, जबकि ताइवान अब तक लगभग 3% तक बढ़ाने की योजना पर है।
क्या आगे क्या होगा? विश्लेषक कहते हैं कि प्रतिनिधि देशों के बीच कूटनीति और सैन्य संतुलन अब और अहम होगा। क्षेत्र में अप्रत्याशित घटनाओं से बचने के लिए संवाद आवश्यक है। जनता और व्यापारी समुदाय दोनों ही इन फैसलों के असर को लेकर चिंतित हैं। अभी समय मांगता है कि ये कदम शांति बनाए रखने में सहायक होंगे या नहीं।