देश के लिए जून बना ‘जी का जंजाल’
चार सालों से हर जून में भयानक हादसे, लकी नंबर बना अनलकी
3 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
कैलेंडर में हर महीना बदलता है, लेकिन कुछ महीने देश की स्मृतियों में स्थायी जगह बना लेते हैं — या तो उल्लास के लिए, या फिर उल्लंघनों के लिए। जून, भारत के लिए बीते चार सालों में ऐसा ही एक महीना बन चुका है — एक खौफनाक पैटर्न, जिसमें हर साल कोई न कोई भयावह त्रासदी घटती है। ना केवल यह महीने प्राकृतिक और तकनीकी दुर्घटनाओं से रक्तरंजित रहा, बल्कि इसमें ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने सिस्टम, सुरक्षा और संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े किए। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन हादसों की तिथियां भी एक अजीब संयोग से जुड़ती नजर आती हैं, जिसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का ‘लकी नंबर’ भी एक दुखद मोड़ पर आकर खड़ा हो गया। तो इस जून माह ने पिचले चार सालों में कितना नुक्सान पहुंचाया है। आइए इसपर एक नजर डालते हैं—
2022: हापुड़ की फैक्ट्री में मौत का विस्फोट
4 जून 2022 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक रासायनिक फैक्ट्री (Ruhi Industries) में जोरदार धमाका हुआ। जिसमें 13 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और 20 से अधिक मजदूर झुलस गए। विस्फोट इतना तीव्र था कि आसपास की इमारतों की दीवारें और छतें उड़ गईं। जांच में सामने आया कि फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही थी और वहां अवैध तरीके से ज्वलनशील रसायन स्टोर किए जा रहे थे। जिसके बाद इस मामले में मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ।
2023: ओडिशा का रेल हादसा जिसने देश को झकझोर दिया
वहीं 2 जून 2023 की शाम, भारत ने पिछले दो दशकों का सबसे भयावह रेल हादसा देखा। कोरमंडल एक्सप्रेस, एक मालगाड़ी और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन आपस में टकरा गईं। बलासोर जिले के बहनागा बाज़ार स्टेशन के पास हुए इस हादसे में 296 लोगों की मौत और 1200 से अधिक घायल हो गए। जांच में सामने आया कि इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी के कारण ट्रेन गलत ट्रैक पर भेजी गई थी। CBI ने तीन रेलवे अधिकारियों को गिरफ्तार किया, लेकिन यह घटना रेल मंत्रालय की निगरानी और तकनीकी प्रणाली की खामियों की पोल खोल गई।
2023: चक्रवात 'बिपरजॉय' की बर्बादी
वहीं 16 जून 2023 को ‘बिपरजॉय’ नाम का भीषण चक्रवात गुजरात के तटीय इलाके नलिया में टकराया। इससे पहले 6 जून से ही समुद्री हलचलें और तेज हवाएं शुरू हो चुकी थीं। गुजरात और राजस्थान में 12 लोगों की मौत, 1.5 लाख से अधिक लोगों का सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन, और हजारों घर, खेत, पेड़ और खंभे बर्बाद हो गए।
2024 – उत्तरकाशी, उत्तराखंड: सहस्त्र ताल ट्रेक में फंसी ज़िंदगियां
वहीं 3 जून 2024 को उत्तरकाशी के सहस्त्रताल ट्रेक पर गई 22 लोगों की पर्वतारोहण टीम एक भारी हिमपात और बर्फीले तूफान में फंस गई। चेतावनियों के बावजूद आगे बढ़ने वाली टीम में से 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि शेष को एयरफोर्स और एसडीआरएफ की मदद से बचाया गया। इस हादसे ने पर्वतीय पर्यटन में सुरक्षा तैयारियों की पोल खोल दी।
2024 – रियासी, जम्मू-कश्मीर: तीर्थयात्रियों पर आतंकी हमला
वहीं 9 जून 2024 को शिवखोरी मंदिर से लौट रही एक तीर्थयात्री बस पर जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में आतंकियों ने हमला कर दिया। गोलियों की बौछार से बस अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। 9 श्रद्धालुओं की मौत और 40 से ज्यादा घायल हुए।
2025: IPL की जीत बनी बेंगलुरु की हार
वहीं 4 जून 2025 को बेंगलुरु में RCB की पहली IPL ट्रॉफी जीत का जश्न चल रहा था। एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर करीब 2 लाख लोगों की भीड़ जमा हो गई। जैसे ही टीम की ‘विजय परेड’ शुरू हुई, भीड़ अनियंत्रित हो गई और बाहरी गेट पर भगदड़ मच गई। 11 लोग कुचलकर मारे गए, 50 से अधिक घायल हुए। हैरानी की बात यह थी कि यह इवेंट बिना प्रशासनिक अनुमति के आयोजित किया गया था। FIR दर्ज हुई, RCB के मार्केटिंग प्रमुख समेत कई अधिकारी गिरफ्तार हुए, लेकिन यह हादसा बता गया कि जश्न में सुरक्षा की अनदेखी कितनी खतरनाक हो सकती है।
2025: भारत का सबसे बड़ा विमान हादसा — और लकी नंबर की विडंबना
वहीं 12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन गेटविक जा रही थी, टेकऑफ के 30 सेकंड के अंदर ही B.J. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर जा गिरी। 274 लोगों की मौत — जिसमें विमान के 230 यात्री, 11 क्रू मेंबर्स और नीचे मौजूद 33 लोग शामिल थे। सिर्फ एक यात्री जीवित बचा।
विजय रूपाणी और 12/06 का रहस्य
वहीं, इस विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी सवार थे, जिनकी मौत उसी दिन हो गई। गौर करने वाली बात यह है कि 12 जून यानी 12/06, उनके लिए एक ‘लकी नंबर’ था। उनकी गाड़ियों, पहचान पत्रों, और दस्तावेजों में यह संख्या हमेशा दिखाई देती थी — वे इसे सौभाग्य का प्रतीक मानते थे। लेकिन नियति ने 12/06 को ही उनकी जिंदगी छीन ली। यह संयोग इतना मार्मिक था कि कई लोगों ने इसे “किस्मत का क्रूर मज़ाक” कहा।