वैष्णोदेवी के दान से बने मेडिकल इंस्टीट्यूट में मुस्लिम छात्रों की संख्या पर बवाल…
VHP–बजरंग दल का जोरदार प्रदर्शन तेज
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित श्री माता वैष्णोदेवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में एडमिशन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। संस्थान की पहली एडमिशन लिस्ट जारी होने के बाद हिंदूवादी संगठनों बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने गुरुवार, 20 नवंबर को जोरदार प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि मेडिकल कॉलेज में अधिकतर मुस्लिम छात्रों को एडमिशन दिया गया है, जिससे स्थानीय हिंदू समुदाय में नाराजगी फैल गई है। प्रदर्शनकारियों ने इंस्टीट्यूट के बाहर श्राइन बोर्ड के CEO का पुतला भी फूंका। मामला बढ़ने पर राजनीति भी गर्म हो गई है।
क्यों हो रहा है विरोध? 90% मुस्लिम छात्रों का आरोप मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विरोध कर रहे संगठनों का कहना है कि जारी की गई एडमिशन लिस्ट में करीब 90% छात्र मुस्लिम समुदाय से हैं, इसलिए इस लिस्ट को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि वैष्णो देवी मंदिर से मिलने वाले दान से तैयार हुए इस संस्थान में हिंदू छात्रों के लिए सीटें आरक्षित होनी चाहिए। उधमपुर के भाजपा विधायक आर. एस. पठानिया ने भी इस विरोध का समर्थन किया और कहा कि संस्थान में मुस्लिम दबदबा नहीं होना चाहिए।
नियमों के अनुसार आरक्षण संभव नहीं, अधिकारियों ने दी सफाई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं मिला है, इसलिए किसी धर्म विशेष के आधार पर आरक्षण देना संभव नहीं है। JKBOPEE ने कुल 50 उम्मीदवारों की सूची मंजूर की थी, 42 छात्र कश्मीर के 8 छात्र जम्मू के इनमें से कश्मीर के 36 और जम्मू के 3 छात्रों ने एडमिशन ले लिया है। वहीं संस्थान का कहना है कि सभी एडमिशन नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) की गाइडलाइंस के अनुसार हुए हैं, जिनमें 85% सीटें जम्मू-कश्मीर के निवासियों और 15% पूरे देश के छात्रों के लिए आरक्षित होती हैं। धर्म के आधार पर चयन नहीं किया गया।
VHP ने एडमिशन रोकने और उपराज्यपाल से दखल की मांग की VHP के जम्मू-कश्मीर ईकाई के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने अगले सत्र (2025-26) के एडमिशन रोकने की मांग की है। उन्होंने इसे मेडिकल कॉलेज का इस्लामीकरण करार दिया। 1 नवंबर को VHP के महामंत्री बजरंग बागड़ा ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर दखल देने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि नर्सिंग कॉलेज में भी अधिकतर फैकल्टी मुस्लिम या ईसाई समुदाय से हैं, जिससे हिंदू समुदाय की भावनाएं आहत हो रही हैं। फिलहाल पूरा मामला प्रशासन के सामने पहुंच चुका है और संस्थान अपने फैसले को नियमों के अनुरूप बता रहा है।