केरल अदालत की सख्त टिप्पणी: “10 मिलीलीटर शराब रखने पर जेल? ऐसा सिर्फ बनाना रिपब्लिक में ही हो सकता है,
भारत में नहीं”
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
केरल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति को महज 10 मिलीलीटर शराब रखने के आरोप में गिरफ्तार कर सात दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस पर मंजेरी सत्र न्यायालय ने आरोपी को जमानत देते हुए कड़ी टिप्पणी की और कहा कि ऐसी घटनाएं “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में नहीं, बल्कि एक बनाना रिपब्लिक में ही संभव हैं।”
अदालत ने जांच अधिकारी की खिंचाई की
मंजेरी सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के. सनील कुमार ने न सिर्फ आरोपी को राहत दी, बल्कि इस मामले में जांच अधिकारी को भी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी ने “अत्यधिक और संदिग्ध उत्साह” दिखाते हुए अपनी सीमाएं लांघ दीं। अदालत ने संदेह जताया कि अधिकारी का मकसद आरोपी को अनुचित तरीके से गंभीर अपराध में उलझाने का था, खासकर तब जब आरोपी सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आता है। अदालत ने यह भी माना कि आरोपी, जो पेशे से नाई है, ने शराब की वह थोड़ी मात्रा संभवतः अपने ग्राहकों के लिए आफ्टरशेव के रूप में इस्तेमाल करने के लिए रखी होगी।
“10 मिलीलीटर से नमूना कैसे लिया जा सकता है?” कोर्ट का सवाल
न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि आखिर जांच अधिकारी ने यह कैसे मान लिया कि 10 मिलीलीटर शराब से वैज्ञानिक परीक्षण के लिए नमूना लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह मामला इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि अधिकारी ने कानून के दायरे से बाहर जाकर कार्रवाई की और एक गरीब व्यक्ति को अनावश्यक रूप से हिरासत में लिया।
अपने आदेश में न्यायाधीश ने लिखा,
“ऐसी घटनाओं का भारत जैसे महान लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। यह सिर्फ एक बनाना रिपब्लिक में ही संभव है, जहां कानून का इस्तेमाल लोगों को डराने और परेशान करने के लिए किया जाता है।”
अदालत ने पुलिस को संवेदनशीलता अपनाने की दी सलाह
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में जांच अधिकारियों को अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है, खासकर जब मामला समाज के कमजोर तबके से जुड़ा हो। न्यायाधीश ने उम्मीद जताई कि राज्य पुलिस के उच्च अधिकारी इस मामले की गंभीरता को समझेंगे और भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराई जाएगी।
जमानत पर रिहाई, कोर्ट ने लगाई शर्तें
अदालत ने आरोपी को 10,000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर रिहा करने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि आरोपी गवाहों या साक्ष्यों से छेड़छाड़ न करे और न ही किसी अन्य अपराध में शामिल हो।
आरोपी का तर्क “तीन लीटर तक शराब रखने की अनुमति है”
जमानत याचिका में आरोपी ने दलील दी थी कि आबकारी अधिनियम के तहत तीन लीटर तक शराब रखने की अनुमति है, जबकि उसके पास मात्र 10 मिलीलीटर शराब थी। इसके बावजूद उसे गिरफ्तार कर जेल भेजना न केवल अनुचित बल्कि कानून का दुरुपयोग है।