यहां लोग पेड़ों की करते हैं पूजा, 200 सालों से नहीं काटी एक भी टहनी,
पेड़ काटते ही मार देता है लकवा
16 days ago
Written By: NEWS DESK
लखनऊ: पर्यावरण संरक्षण के लिए हर ओर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। सरकारें पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारी-भरकम बजट जारी करती हैं। लेकिन मेरठ में 20 से अधिक गांवों के लोग इसे धर्म से जोड़ कर अनूठा उदाहरण पेश कर रहे हैं। यहां पेड़ों को भगवान मानकर उनकी पूजा करते हैं, और तो और मान्यता है कि अगर यहां किसी ने पेड़ की एक भी टहनी काटी तो उसे लकवा मार देगा। ऐसे में यहां का एक्यूआई लेवल हमेशा 0 से 10 के बीच रहता है।
पेड़ को मानते हैं कुल देवता…
मेरठ तहसील के मुरलीपुर गांव के रहने वाले लोग पेड़ों को ही अपना कुल देवता मानते हैं। यही वजह है कि तहसील के तकरीबन 2 दर्जन गांवों में पर्यावरण का भव्य नजारा देखने को मिलते है। पर्यावरण प्रेमियों के लिए मिसाल इन गांवों के लोगों की आस्था एक मिसाल है। गांव के रहने वाले रजनीश यादव के मुताबिक पूर्वजों द्वारा एक बात बताई जाती रही है कि हमारे भगवान यही पेड़ पौधे ही हैं इसी को हम पीढी दर पीढी मानते आ रहे हैं। यहां मौजूद एक बेहद पुराने पीपल के पेड़ की पूजा भी की जाती है।
इस एक घटना को मानते हैं इसका कारण…
गांव में रहने वाले बुजुर्ग रामजी के मुताबिक सैकड़ों साल पहले गांव के एक शख्स ने बुजुर्गों के रोकने के बावजूद भी एक पेड़ की डाल काट दी थी। पेड़ की डाल काटने के तकरीबन 2 घंटे बाद ही उस शख्स को लकवा मार दिया था, जिसके बाद वह सालों तक बिस्तर पर रहा। इसके बाद भी एक दो घटनाएं इस तरह की हुई जिसके बाद गांव के लोगों ने ये मान लिया कि इन पेड़ों में देवताओं का वास है। लोगों ने इन पेड़ों की पूजा शुरू कर दी और वहां की एक भी टहनी काटना अपराध माना जाने लगा।
20 से अधिक गांवों में होती है पूजा एक्यूआई लेवल भी शानदार…
लगभग 40 हजार वर्गमीटर में फ़ैली यहां की हरियाली और चिड़ियों का चह-चहाअट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां आसपास के तकरीबन 20 गांवों से अधिक की आबादी पेड़ों की पूजा करती है और उन्हें ही अपना भगवान मानती है। यही नहीं इस इलाके के ईक्यूआई लेवल भी बेहद शानदार है। 0 से 10 रहने वाला ईक्यूआई लेवल यहां के लोगों को प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से भी बचाता है। यहां आसपास के कबूलपुर, समयपुर, भगवानपुर चित्तवन, सिसोली, बधाला, आलमपुर बुजुर्ग समेत 20 से अधिक गांवों के लोग पेड़ों की ही अपना भगवान मानते हैं।
40 फीसद कम लोग होते हैं बीमार…
यहां के स्थानीय अस्पताल के चिकित्सक डॉ अनूप कुमार के मुताबिक बेहतर ऑक्सीजन लेवल और शुद्ध वातावरण लोगों को बीमारियों से बचाने में काफी मदद करता है। उन्होंने बताया कि मै इस इलाके में तकरीबन 8 सालों से तैनात हूं, अन्य जगहों की अपेक्षा यहां सांस के मरीज तकरीबन 40 फीसद कम हैं। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण लोगों के लिए कितना फायदेमंद है इसका ये पूरा इलाका जीता- जागता उदाहरण है।