सुशीला कार्की अगर संभालेंगी नेपाल की कमान, तो भारत संग रिश्तों की कैसी होगी तस्वीर,
इंटरव्यू में मिला इशारा
8 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Nepal Political Crisis: नेपाल में राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं। हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद जनरल-ज़ेड ने केपी शर्मा ओली की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया है। अब सवाल यह है कि देश का भविष्य किस दिशा में जाएगा क्या सेना सीधे शासन संभालेगी या फिर नई अंतरिम सरकार बनेगी। गुरुवार को आर्मी चीफ ने अहम बैठक बुलाई है, जिसमें अंतरिम सरकार पर सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है। इस नई व्यवस्था का चेहरा नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की मानी जा रही हैं। ऐसे में नेपाल और भारत के रिश्तों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
मोदी की कार्यशैली से प्रभावित
सुशीला कार्की का नाम सामने आते ही भारत में भी चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि उनका लगाव भारत से रहा है। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पढ़ाई कर चुकी हैं और अपने पहले इंटरव्यू में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की खुलकर तारीफ की। कार्की ने साफ किया कि भारत के प्रति उनके विचार सकारात्मक हैं। यह रुख नेपाल-भारत संबंधों के लिए अहम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब ओली सरकार के दौरान नेपाल चीन की तरफ ज्यादा झुका हुआ था और भारत से दूरी बना ली थी।
दोनों देशों के लिए राहत भरा संकेत
भारत और नेपाल के बीच 1751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है। ऐसे में राजनीतिक अस्थिरता दोनों देशों की सुरक्षा और रिश्तों पर असर डालती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिम सरकार की कमान सुशीला कार्की के हाथों में आना भारत और नेपाल दोनों के लिए राहत की बात है। उनकी सोच और पृष्ठभूमि नेपाल को मौजूदा संकट से निकालने में मदद कर सकती है।
कौन हैं सुशीला कार्की
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। उन्होंने बीएचयू से मास्टर्स किया है और वहीं पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात उनके पति और नेपाल के लोकप्रिय नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी। उनकी सादगी और स्पष्ट सोच ने उन्हें नेपाल की राजनीति और न्यायपालिका में एक अलग पहचान दी है।
एक्सपर्ट की राय
भारत के पूर्व राजदूत रंजीत रे का कहना है कि नेपाल इस समय बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। हालांकि भारत चाहता है कि नेपाल स्थिर रहे और जनता की आकांक्षाओं के मुताबिक आगे बढ़े। रे के मुताबिक, बांग्लादेश की तरह जहां अंतरिम सरकार के दौरान भारत से संबंध कमजोर हुए थे, नेपाल में सुशीला कार्की का नेतृत्व इस बार संबंधों को और मजबूत कर सकता है।