पूर्णिया की रैली में नीतीश का तंज: पीएम मोदी के सामने किसकी गलती की फाइल खोली,
क्यों कहा- अब इधर-उधर नहीं…
3 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Bihar Chunav: पूर्णिया की जमीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक मंच पर मौजूद थे। सामने लाखों की भीड़ थी और माहौल पूरी तरह सियासी रंग में डूबा था। नीतीश कुमार ने सीमांचल को मिली विकास की सौगातों पर गदगद होते हुए अपनी बात रखी। लेकिन सबसे बड़ा संदेश तब आया जब उन्होंने खुले दिल से अतीत की गलतियों को स्वीकार करते हुए कहा गड़बड़ हुआ था, जिसने किया उसे छोड़ दिया गया है। यही नहीं, उन्होंने मंच पर मौजूद एक नेता की ओर इशारा करते हुए तंज कसा अभी हमारे सामने बैठे हैं, थोड़ा इधर-उधर हो गया था।” राजनीति के जानकारों ने इसे जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की ओर इशारा माना।
नीतीश कुमार का तंज और ललन सिंह की गलती विशेषज्ञों के अनुसार, नीतीश का यह बयान सीधे-सीधे ललन सिंह की उस भूमिका की ओर इशारा था, जिसने 2022 में एनडीए से अलग होने का रास्ता खोला था। उस वक्त ललन सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और सीट बंटवारे से लेकर रणनीति तक कई फैसले उन्हीं पर ठीकरा फोड़ा गया। कहा जाता है कि उनकी सलाह पर ही नीतीश ने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन किया, जो जल्द ही असफल हो गया। इस गलती का खामियाजा नीतीश की छवि और पार्टी दोनों को भुगतना पड़ा। बाद में नीतीश ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटाकर केंद्रीय मंत्री बना संतुलन साधा।
पलटीमार छवि से बाहर निकलने की कोशिश नीतीश कुमार का यह बयान सिर्फ तंज नहीं बल्कि बड़ा राजनीतिक संदेश भी है। उन्होंने साफ कहा अब सवाल नहीं पैदा होता कि हम इधर-उधर जाएंगे। इसका मतलब है कि नीतीश अब एनडीए के साथ मजबूती से टिके रहना चाहते हैं। हालांकि, उनकी पिछली राजनीति ने उन्हें सुशासन बाबू से ज्यादा पलटूराम के नाम से चर्चित कर दिया है। 2014 से अब तक कई बार उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ा और राजद से हाथ मिलाया, लेकिन फिर लौट आए। इस वजह से उनकी विश्वसनीयता को गहरी चोट पहुंची।
बिहार चुनाव से पहले एनडीए को मजबूत करने का प्रयास 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले यह संदेश देना जरूरी था कि जदयू और बीजेपी के बीच अब कोई दरार नहीं है। नीतीश ने पीएम मोदी के सामने यह कहकर अपनी निष्ठा जताई कि वे अब किसी भी राजनीतिक भटकाव में नहीं पड़ेंगे। जानकारों का मानना है कि ललन सिंह पर तंज कसकर नीतीश ने बीजेपी को आश्वस्त करने और जनता को भरोसा दिलाने की कोशिश की है। अब देखना होगा कि जनता नीतीश की इस वफादारी को कितना गंभीरता से लेती है और क्या वाकई वे किसी नए पलटा से बच पाते हैं।