15 करोड़ का शाबाज और 11 करोड़ का बादल,
अजमेर के पुष्कर मेले में इन शाही घोड़ों को देखने के लिए उमड़ी भीड़
2 months ago Written By: Ashwani Tiwari
राजस्थान के अजमेर जिले में चल रहा अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला इन दिनों पूरे शबाब पर है। देशभर से आए हजारों पशुपालक अपने बेहतरीन पशुओं के साथ इस ऐतिहासिक मेले में पहुंचे हैं। हर साल की तरह इस बार भी यह पशु मेला लाखों लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां पर करोड़ों की कीमत वाले घोड़े, भैंसे और दुर्लभ नस्लों की गायें प्रदर्शित की जा रही हैं। खास बात यह है कि इस साल मेले में कुछ ऐसे शाही घोड़े और छोटे आकार की गायें आई हैं, जिन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
11 करोड़ के घोड़े बादल ने जीता सबका दिल मेले में इस बार सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है बादल नाम का शानदार घोड़ा, जिसकी कीमत 11 करोड़ रुपये लगाई गई है। पांच साल के इस घोड़े को देखने के लिए भीड़ उमड़ रही है। बताया गया है कि बादल अब तक 285 बच्चों का पिता बन चुका है और ब्रीडिंग के लिए बेहद खास माना जाता है। इसके मालिक राहुल का कहना है कि यह नस्ल कई राज्यों में लोकप्रिय हो चुकी है और इसके स्टैमिना व खूबसूरती की काफी सराहना की जाती है।
पंजाब से आया 15 करोड़ का घोड़ा शाबाज हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों के पशुपालक इस मेले में पहुंचे हैं। इनमें सबसे खास हैं पंजाब के गेरी, जो अपने 15 करोड़ रुपये कीमत वाले घोड़े शाबाज को लेकर आए हैं। 65 इंच ऊंचे इस घोड़े की ब्रीडिंग कराने का खर्च करीब 2 लाख रुपये बताया गया है। गेरी के पास कुल 39 घोड़े हैं, जिनकी अलग-अलग नस्लें अपनी ताकत और खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं।
बच्चों की पसंद बना नन्हा शेटलैंड पोनी जयपुर से आए पशुपालक अभिनव तिवारी अपने साथ घोड़ों की सबसे छोटी नस्ल शेटलैंड पोनी लेकर आए हैं। इन घोड़ों की ऊंचाई सिर्फ ढाई फीट होती है, जो खासकर बच्चों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। विदेशी खरीदार भी इन छोटे लेकिन कीमती घोड़ों में रुचि दिखा रहे हैं।
भैंसों और गायों की दुर्लभ नस्लों ने भी खींचा ध्यान बीकानेर से आए एक पशुपालक 800 किलो वजनी मुर्रा नस्ल के भैंसे को लेकर आए हैं, जिसकी कीमत 10 लाख रुपये बताई जा रही है। यह भैंसा अपनी ताकत और दूध उत्पादन क्षमता के लिए मशहूर है। वहीं, मेले में प्रदर्शित गायों में सबसे छोटी नस्ल पुगनुर और मिली माउस हैं, जिनकी ऊंचाई क्रमशः 16 इंच और 12 इंच है। इतनी छोटी गायों को देखकर लोग हैरान रह गए।
संस्कृति, परंपरा और व्यापार का संगम बना पुष्कर मेला हर साल की तरह इस बार भी पुष्कर मेला न केवल पशुधन का प्रदर्शन स्थल बना है, बल्कि संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक साबित हो रहा है। शाही घोड़ों से लेकर दुर्लभ नस्लों की गायों तक, हर कोने में कुछ नया देखने को मिल रहा है। पशुपालकों को उम्मीद है कि इस बार मेला व्यापार के लिहाज से भी रिकॉर्ड तोड़ साबित होगा।