दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद बड़ा बदलाव…
RAW चीफ पराग जैन को कैबिनेट सचिवालय में मिला नया अहम जिम्मा
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
PM Narendra Modi: दिल्ली में 12 नवंबर को हुए कार धमाके के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह हाई अलर्ट पर हैं। इसी घटना के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने एक आपात कैबिनेट बैठक बुलाई, जिसमें सुरक्षा से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। बैठक में सबसे बड़ा निर्णय भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के प्रमुख पराग जैन की नई नियुक्ति को लेकर हुआ। अब पराग जैन को R&AW के साथ-साथ कैबिनेट सचिवालय में सचिव (सुरक्षा) का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह फैसला उस समय लिया गया है जब देश की राजधानी में आतंकी हमले की आशंका को लेकर जांच चल रही है।
कौन हैं आईपीएस पराग जैन? पराग जैन पंजाब कैडर के 1989 बैच के IPS अधिकारी हैं। वे 1 जुलाई 2025 से R&AW के डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले, उनकी नियुक्ति की घोषणा 28 जून को की गई थी। अपने लंबे करियर में पराग जैन ने पंजाब में कई आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बठिंडा, मनसा और होशियारपुर में कई अभियानों की अगुवाई की थी। वे पहले चंडीगढ़ के एसएसपी और लुधियाना रेंज के डीआईजी भी रह चुके हैं। इंटेलिजेंस जगत में उन्हें सुपर जासूस कहा जाता है। पराग जैन को HUMINT (Human Intelligence) और TECHINT (Technical Intelligence) दोनों में गहरी पकड़ है। उनके पास एक मजबूत जासूसी नेटवर्क है, जो उन्हें सटीक जानकारी जुटाने में मदद करता है। रॉ का प्रमुख बनने से पहले वे एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) के प्रमुख रह चुके हैं, जो बॉर्डर सर्विलांस और इमेजरी इंटेलिजेंस जैसे संवेदनशील कार्यों को संभालती है।
क्या है नई जिम्मेदारी? 12 नवंबर को जारी आदेश के अनुसार, पराग जैन को अब कैबिनेट सचिवालय में सचिव (सुरक्षा) का प्रभार भी दिया गया है। यह पद देश के प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी की सुरक्षा से सीधे जुड़ा है। इस पद पर जुलाई 2025 से कोई स्थायी अधिकारी नहीं था। सचिव (सुरक्षा) स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं, जो प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाती है। इस पद के तहत पराग जैन को अब सुरक्षा एजेंसियों और लॉ-एनफोर्समेंट संस्थाओं के बीच बेहतर को-ऑर्डिनेशन और इंटेलिजेंस शेयरिंग सुनिश्चित करनी होगी। दिल्ली कार ब्लास्ट जैसी घटनाओं के बाद यह नियुक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद रणनीतिक मानी जा रही है।