तीन पासपोर्ट, कई देश और खतरनाक मिशन…
दिल्ली ब्लास्ट की मास्टरमाइंड मैडम सर्जन शाहीन बेनकाब
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। इस ब्लास्ट में फरीदाबाद मॉड्यूल, अल फलाह यूनिवर्सिटी और डॉक्टर शाहीन की भूमिका अब जांच का बड़ा हिस्सा बन चुकी है। एजेंसियों को शाहीन से जुड़े कई दस्तावेज, पासपोर्ट और विदेश यात्राओं के रिकॉर्ड मिले हैं, जो इस केस को और गहराई से जोड़ते हैं। जांचकर्ताओं का मानना है कि पूरी साजिश बड़े पैमाने पर रची गई थी और इसके पीछे ‘D-6 Mission’ का खास प्लान काम कर रहा था। अब इस पूरे मामले में नए-नए खुलासे सुरक्षा एजेंसियों को और सतर्क कर रहे हैं।
फरीदाबाद मॉड्यूल और अल फलाह यूनिवर्सिटी का कनेक्शन दिल्ली ब्लास्ट केस में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, फरीदाबाद मॉड्यूल और अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम लगातार सामने आने लगा। पुलिस को कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो इस मॉड्यूल की सक्रिय भूमिका को दर्शाते हैं। माना जा रहा है कि यूनिवर्सिटी के विस्तार के नाम पर जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी और अतिक्रमण को लेकर प्रशासन बुलडोजर कार्रवाई भी कर सकता है। पिछले दिनों प्रशासन ने यूनिवर्सिटी की पैमाइश की थी, जिसके दस्तावेजों की जांच फरीदाबाद क्राइम ब्रांच भी कर रही है।
डॉ. शाहीन के पास मिले तीन पासपोर्ट जांच में सबसे बड़ा खुलासा डॉक्टर शाहीन को लेकर हुआ है। एजेंसियों को उसके पास से तीन पासपोर्ट मिले हैं। एक कानपुर, दूसरा लखनऊ और तीसरा फरीदाबाद पते पर। खास बात यह है कि तीनों पासपोर्ट में अभिभावक के नाम भी अलग-अलग हैं। कहीं पिता, कहीं पति और कहीं भाई को अभिभावक बताया गया है। आखिरी पासपोर्ट में इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का पता दर्ज है, जहां उसका भाई परवेज नौकरी करता था।
थाईलैंड और पाकिस्तान की यात्राएं डॉ. शाहीन की विदेश यात्राओं ने एजेंसियों को और सतर्क कर दिया है। पता चला कि कानपुर की नौकरी छोड़ने के बाद वह वर्ष 2013 में थाईलैंड गई थी। सबसे बड़े खुलासे में यह भी सामने आया कि वह तीन बार पाकिस्तान और छह बार अन्य देशों की यात्रा कर चुकी है। एजेंसियां उसके बैंक रिकॉर्ड, कॉल डिटेल्स, डिजिटल फुटप्रिंट और डायरी की हर एंट्री को खंगाल रही हैं।
D-6 Mission और 6 दिसंबर को ब्लास्ट की साजिश जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि मैडम सर्जन शाहीन व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल में एक महत्वपूर्ण एसेट की तरह काम कर रही थी। इसका लक्ष्य 6 दिसंबर को बड़ा धमाका करना था, जिसे D-6 Mission नाम दिया गया था। यह योजना वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने का बदला लेने के उद्देश्य से बनाई गई थी। इसी वजह से धार्मिक स्थल और RSS दफ्तर इनके निशाने पर थे। हवाला के जरिए अब तक करीब 20 लाख रुपये शाहीन, उमर और मुज़म्मिल तक पहुंचने की जानकारी सामने आई है। एजेंसियों का मानना है कि ये लोग अपनी कमाई भी मिशन में खर्च कर रहे थे, ताकि खुद को लो-प्रोफाइल दिखा सकें।