बारिश की बूंदों से खराब हुआ वाटरप्रूफ फोन, कोर्ट का आदेश…
सैमसंग को लौटाने होंगे 1.88 लाख रुपये
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
आज की खबर उन लोगों के लिए राहत और उम्मीद लेकर आई है जो अपने स्मार्टफोन की वारंटी और कंपनी के वादों पर भरोसा करते हैं। उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में जिला उपभोक्ता फोरम ने सैमसंग कंपनी को ग्राहक को 1 लाख 88 हजार रुपये ब्याज समेत लौटाने का आदेश दिया है। यह फैसला उस केस में आया जिसमें सैमसंग का ‘वाटरप्रूफ’ फोन हल्की बारिश में खराब हो गया था। कोर्ट ने माना कि कंपनी अपने दावे को साबित करने में नाकाम रही।
बारिश की हल्की बूंदों से बंद हुआ सैमसंग फोल्ड 4 शक्ति विकास पांडेय नाम के ग्राहक ने 28 दिसंबर 2022 को खलीलाबाद के अग्रवाल टेलीकॉम से Samsung Fold 4 फोन 1,57,998 रुपये में खरीदा था। कंपनी के कर्मचारियों ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि यह फोन पूरी तरह वाटरप्रूफ है और पानी से खराब नहीं होगा। लेकिन 26 सितंबर 2024 को खलीलाबाद के गोला बाजार में हल्की बारिश की बूंदें पड़ते ही फोन बंद हो गया। सर्विस सेंटर में शिकायत करने पर भी फोन ठीक नहीं हुआ। इसके बाद ग्राहक ने कई बार कंपनी से संपर्क किया, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। मजबूर होकर उन्होंने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया।
उपभोक्ता फोरम ने ग्राहक के पक्ष में सुनाया फैसला जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह और सदस्य संतोष ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। आयोग ने फैसला सुनाते हुए सैमसंग कंपनी और संबंधित दुकान को आदेश दिया कि वे फोन की कीमत के साथ 10 प्रतिशत ब्याज और 30,000 रुपये अतिरिक्त क्षतिपूर्ति के तौर पर ग्राहक को 60 दिनों के भीतर लौटाएं। यानी कुल रकम हुई 1,88,000 रुपये।
IP रेटिंग का झुनझुना — बस नाम की सुरक्षा स्मार्टफोन कंपनियां अक्सर अपने डिवाइस के साथ IP रेटिंग (Ingress Protection) देती हैं, जैसे IP67 या IP68, जिससे धूल और पानी से सुरक्षा का दावा किया जाता है।
6 का मतलब है धूल से पूरी सुरक्षा।
7 या 8 का अर्थ है पानी से सीमित सुरक्षा।
लेकिन असलियत यह है कि ज्यादातर कंपनियां वारंटी में पानी से नुकसान को शामिल नहीं करतीं। यानी वाटरप्रूफ शब्द सिर्फ प्रचार का हिस्सा होता है। Apple जैसे ब्रांड ने तो फोन के अंदर सेंसर लगाए हैं जो पानी के संपर्क में आते ही रेड डॉट दिखा देते हैं मतलब वारंटी खत्म
ग्राहकों के लिए मिसाल बना यह केस इस केस में कोर्ट ने साफ कहा कि कंपनी अगर दावा करती है तो उसे निभाना होगा। अब यह फैसला उन सभी मोबाइल यूजर्स के लिए उम्मीद की किरण है जिनके फोन झूठे वाटरप्रूफ दावे के चलते खराब हुए। अदालत का यह आदेश यह बताता है कि अगर कंपनी आपकी नहीं सुनती, तो अदालत जरूर सुनेगी।