टुंडे कबाब और तहज़ीब के लिए मशहूर लखनऊ अब अंतरिक्ष में भी दर्ज कराएगा अपनी पहचान,
शुभांशु शुक्ला बनेंगे भारत के पहले ISS जाने वाले अंतरिक्षयात्री
6 days ago
Written By: Sushant Pratap Singh
लखनऊ की गलियों में पलकर पंख फैलाने का सपना देखने वाला एक नौजवान अब उस मुकाम पर है जहां से वह धरती को अंतरिक्ष से देखेगा। अलीगंज के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पढ़ाई करने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की ऐतिहासिक यात्रा के लिए तैयार हैं। वे अंतरिक्ष में जाने वाले तीसरे भारतीय बन सकते हैं, जिनका चयन NASA, SpaceX और Axiom Space के जॉइंट मिशन 'Axiom Mission 4' में बतौर पायलट हुआ है।
NDA से लेकर अंतरिक्ष मिशन तक का सफर
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने करियर की शुरुआत NDA से की। 2006 में भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट बने और मिग-21 से लेकर सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाया। उनके नाम 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग अनुभव दर्ज है। वे एक एक्सपर्ट टेस्ट पायलट भी रह चुके हैं। इसी अनुभव ने उन्हें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' के लिए चुने गए चार अंतरिक्षयात्रियों में शामिल कर दिया।
प्रधानमंत्री ने किया था सम्मानित
2019 में ISRO ने जब गगनयान मिशन की तैयारियां शुरू कीं, तो शुभांशु को रूस के यूरी गागरिन ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया, जहां उन्होंने दो वर्षों तक गहन प्रशिक्षण लिया। इसके बाद बेंगलुरु स्थित ISRO की फैसिलिटी में भी उन्होंने फाइनल ट्रेनिंग ली। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन के पद पर प्रमोशन मिला और उसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें 'एस्ट्रोनॉट विंग्स' से सम्मानित किया।
अंतरिक्ष में बनेंगे भारत के वैज्ञानिक दूत
Axiom Mission 4 में शुभांशु पायलट की भूमिका में रहेंगे। उनके साथ इस मिशन में अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्षयात्री पेगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्सकी और हंगरी के टिबोर कापू शामिल हैं। भारत, पोलैंड और हंगरी — तीनों देशों के लिए यह पहली इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) यात्रा होगी। शुभांशु SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से ISS की यात्रा करेंगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, यह मिशन 11 जून की शाम 5:52 बजे (भारतीय समयानुसार) लॉन्च होना था, लेकिन टेक्निकल कारणों से टालना पड़ा। स्पेसक्राफ्ट में लिक्विड ऑक्सीजन लीक पाया गया था, और अब नई लॉन्च डेट जल्द तय की जाएगी। 14 दिनों के इस मिशन में शुभांशु सिर्फ एक यात्री नहीं होंगे, बल्कि भारत के लिए एक वैज्ञानिक दूत की भूमिका निभाएंगे। ISS पर जैविक और तकनीकी प्रयोग किए जाएंगे, जिनका डेटा भारत की रिसर्च एजेंसियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।
लखनऊ की गलियों से अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक
एक समय था जब लखनऊ की पहचान सिर्फ अदब, तहज़ीब और टुंडे कबाब से होती थी। लेकिन अब यही शहर अंतरिक्ष विज्ञान में भी अपनी जगह बना रहा है। अलीगंज की गलियों से निकलकर शुभांशु शुक्ला ने जो सफर तय किया है, वो आज के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है। सुनीता विलियम्स ने जब अंतरिक्ष से भारत का नाम लिया था, तो वह गर्व का क्षण था। लेकिन शुभांशु शुक्ला अब भारत सरकार, ISRO और वायुसेना के आधिकारिक प्रतिनिधि के तौर पर वहां होंगे। यह सिर्फ एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे देश की उपलब्धि होगी — खासकर उन छोटे शहरों के लिए, जो अब बड़े सपनों की जमीन बन चुके हैं।