दिल्ली से नेपाल और फिर Russia... कोर्ट को चकमा देकर बेटे संग भागी विदेशी महिला,
दूतावास का पूरा खेल उजागर
3 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने सोमवार को एक हैरान करने वाले मामले में दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए गहराई से जांच करने का आदेश दिया है। यह मामला रूसी महिला विक्टोरिया बसु से जुड़ा है, जो अपने बेटे को लेकर अदालत की अनुमति के बिना भारत से भाग गई। चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस की रिपोर्ट में पहली बार यह खुलासा हुआ है कि इस फरारी में दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी की भूमिका रही।
कैसे हुई फरारी की पूरी साजिश दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी दूतावास के अधिकारी आर्थर गेर्बस्ट ने एक भारतीय कारोबारी विवान सहगल को टैक्सी बुक करने को कहा। सहगल ने पुलिस को बताया कि वह पिछले 15 सालों से रूसी कंपनियों से जुड़े हैं और अक्सर दूतावास जाते रहते हैं। उन्होंने कबूल किया कि 4 जुलाई 2025 को गेर्बस्ट ने उनसे दिल्ली से बिहार तक टैक्सी बुक करने को कहा। इसके बाद 9 जुलाई को सहगल को 75,000 रुपये दिए गए, ताकि टैक्सी ड्राइवर को भुगतान किया जा सके। पुलिस ने सहगल और टैक्सी ड्राइवर दोनों के बयान दर्ज कर लिए हैं।
नेपाल से रूस पहुंची विक्टोरिया पुलिस जांच से पता चला कि विक्टोरिया पहले टैक्सी से दिल्ली से बिहार पहुंची, फिर वहां से नेपाल दाखिल हुईं। नेपाल से उन्होंने शारजाह की फ्लाइट ली और वहां से रूस चली गईं। माना जा रहा है कि वह फिलहाल रूस में ही रह रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि दूतावास में महिला को आखिरी बार देखा गया था, फिर भी वहां पूछताछ क्यों नहीं हुई। कोर्ट ने इसे सुप्रीम कोर्ट की अभिरक्षा से बच्चे का अपहरण बताया और कहा कि यह अदालत की गरिमा पर सीधा प्रहार है।
पति के दस्तावेजों से खुला रहस्य महिला के भारतीय पति ने अदालत को सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज सौंपे। इनमें दावा किया गया कि रूसी दूतावास ने न सिर्फ मदद की बल्कि भागने का पूरा खर्च भी उठाया। टिकट हांगकांग की एक एजेंसी से खरीदे गए थे।
विदेश मंत्रालय भी सक्रिय विदेश मंत्रालय ने एमएलएटी (Mutual Legal Assistance Treaty) के तहत रूस को मदद का अनुरोध भेजा है। साथ ही, इंटरपोल से ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि बच्चे का पासपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के पास था, तो वह बाहर कैसे गया? शक है कि नकली पासपोर्ट या नया पासपोर्ट बनवाया गया हो।
10 दिन में रिपोर्ट मांगी अदालत ने दिल्ली पुलिस और विदेश मंत्रालय को 10 दिन के भीतर ताजा स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। इसके बाद ही मामले की अगली सुनवाई होगी।