POSH से बाहर रहेंगे राजनीतिक दल,
सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सुनकर चौंक जाएंगे आप
3 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Supreme Court: नई दिल्ली से बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें राजनीतिक दलों को यौन उत्पीड़न से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम (POSH Act), 2013 के दायरे में लाने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि राजनीतिक दलों को कार्यस्थल (वर्कप्लेस) नहीं माना जा सकता, क्योंकि ये किसी को नौकरी पर नहीं रखते। कोर्ट का यह फैसला आने के बाद अब राजनीतिक दलों के भीतर POSH अधिनियम लागू नहीं होगा।
केरल हाईकोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती यह मामला दरअसल केरल हाईकोर्ट से जुड़ा हुआ था। हाईकोर्ट ने पहले ही कहा था कि राजनीतिक दलों के लिए POSH अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न शिकायत निवारण समिति बनाना जरूरी नहीं है। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने पीड़ित महिला की परिभाषा को नजरअंदाज कर दिया है।
वकील का तर्क और POSH अधिनियम की परिभाषा अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि POSH अधिनियम की धारा 2 (क)(i) के अनुसार पीड़ित महिला वह है जो किसी भी कार्यस्थल से जुड़ी हो, चाहे वह वहां कार्यरत हो या नहीं। इस परिभाषा के अनुसार शिकायत दर्ज कराने के लिए महिला का उस संस्था में नौकरी करना जरूरी नहीं है। वकील का कहना था कि राजनीतिक दल भी संगठित ढंग से काम करते हैं, इसलिए उन्हें भी POSH अधिनियम के दायरे में लाना चाहिए।
CJI ने कहा- राजनीतिक दल वर्कप्लेस नहीं चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को कार्यस्थल मानना संभव नहीं है क्योंकि वहां किसी को नियुक्त नहीं किया जाता और न ही वेतन दिया जाता है। उन्होंने साफ कहा कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होना नौकरी नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने अधिवक्ता योगमाया द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया।
पहले भी उठ चुकी थी मांग गौरतलब है कि इससे पहले भी इसी याचिकाकर्ता ने एक जनहित याचिका दाखिल कर राजनीतिक दलों को POSH अधिनियम के दायरे में लाने की मांग की थी। हालांकि, वह याचिका वापस ले ली गई थी ताकि सीधे केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी जा सके। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि फिलहाल राजनीतिक दल POSH कानून के दायरे से बाहर रहेंगे।