क्यों किया अरेस्ट… अब पुलिस देगी लिखित जवाब, गिरफ्तारी से पहले देनी होगी ये 5 जरूरी जानकारी,
सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Supreme Court:6 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ए. जार्ज मसीह की बेंच ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति को लिखित सूचना देना कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मौलिक सुरक्षा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की प्रति देश के सभी मुख्य सचिवों को भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि राज्य सरकारें और पुलिस इस नियम का पालन सुनिश्चित करें।
भारत में गिरफ्तारी के मौजूदा नियम भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 41 से 60A तक गिरफ्तारी से जुड़े नियम बताए गए हैं। इनके अनुसार—
पुलिस को गिरफ्तारी का स्पष्ट कारण बताना जरूरी है।
गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार या मित्र को सूचना देना अनिवार्य है।
गिरफ्तारी के समय मेमो तैयार किया जाता है, जिस पर व्यक्ति और एक गवाह के हस्ताक्षर होते हैं।
हर गिरफ्तार व्यक्ति की मेडिकल जांच जरूरी है।
उसे 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है।
क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 22(1) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22(1) नागरिकों को सुरक्षा देता है कि गिरफ्तारी के कारण की जानकारी जल्द से जल्द दी जाए और उन्हें वकील से सलाह लेने का अधिकार मिले। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब पुलिस को लिखित सूचना देना ही होगा, और अगर किसी आपात स्थिति में यह तुरंत संभव न हो, तो रिमांड से दो घंटे पहले सूचना देना जरूरी होगा।
कानून का पालन न करने पर कार्रवाई
कानून कहता है कि गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी की पहचान स्पष्ट होनी चाहिए। गिरफ्तारी मेमो पर गवाह और आरोपी दोनों के हस्ताक्षर जरूरी हैं। यदि पुलिस इन नियमों का पालन नहीं करती, तो गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सकती है।
फैसले का महत्व यह फैसला भारत के लोकतंत्र में नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा का मील का पत्थर साबित होगा। इससे पुलिस की मनमानी पर रोक लगेगी, प्रशासन की पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता का कानून पर भरोसा मजबूत होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि मानव अधिकारों की दिशा में बड़ा कदम है। अब जरूरी है कि पुलिस और प्रशासन इस फैसले को जमीन पर सख्ती से लागू करें।