US Tariff: भारत-चीन पर 100% टैरिफ की तैयारी,
रूस से तेल खरीद पर G7 को ट्रंप का अल्टीमेटम
7 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
US Tariff: भारत और चीन पर रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका ने एक बार फिर दबाव बढ़ा दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 50% तक टैरिफ लगाया था, लेकिन अब यह मामला और गंभीर हो गया है। रॉयटर्स ने फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि अमेरिका, G7 देशों को भारत और चीन के सामानों पर 100% तक टैरिफ लगाने के लिए तैयार कर रहा है। यह कदम रूस पर दबाव बढ़ाने और यूक्रेन युद्ध खत्म करने की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
वॉशिंगटन बैठक में चर्चा
रिपोर्ट के अनुसार, 9 सितंबर को वाशिंगटन में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में राष्ट्रपति ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) के अधिकारियों से सीधे बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर ईयू 100% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी समान स्तर पर टैरिफ बढ़ाएगा। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, हम तैयार हैं, लेकिन हमारे यूरोपीय साझेदारों को साथ आना होगा। यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने ईयू पर भारत के खिलाफ दबाव डाला हो। इससे पहले, भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया था, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया।
रूस पर आर्थिक चोट का इरादा
अमेरिका मानता है कि तेल और गैस रूस की सबसे बड़ी कमाई का जरिया है। चीन और भारत जैसे बड़े खरीदारों की वजह से रूस को युद्ध के बीच आर्थिक सहारा मिल रहा है। 2025 की पहली छमाही में भारत ने औसतन 1.75 मिलियन बैरल रोजाना रूसी तेल खरीदा, जो उसके कुल आयात का 35% है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि G7 के संयुक्त टैरिफ से रूस की आमदनी घटेगी और पुतिन युद्ध रोकने को मजबूर होंगे।
ईयू की दुविधा
हालांकि, ईयू इस प्रस्ताव पर सतर्क है। प्रवक्ता ने कहा कि वे गोपनीय बातचीत का खुलासा नहीं कर सकते, लेकिन भारत और चीन से संवाद जारी रहेगा। विश्लेषकों का कहना है कि ईयू खुद अभी भी रूस से 19% गैस आयात करता है, इसलिए 100% टैरिफ लागू करना उसके लिए आसान नहीं होगा।
भारत और चीन की प्रतिक्रिया
भारत ने पहले ही कहा है कि रूसी तेल खरीदना उसकी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित के लिए जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच हालिया सकारात्मक संदेशों के बावजूद इस मुद्दे पर तनाव गहराया है। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को टैरिफ महाराजा कहते हुए रूसी तेल को ब्लड मनी करार दिया। चीन ने भी अमेरिका की नीति का कड़ा विरोध किया और कहा कि रूस मुद्दे पर उन्हें इसमें शामिल न किया जाए।
असर और चिंताएं
अगर G7 टैरिफ पर सहमत हो गया, तो भारत का निर्यात प्रभावित होगा। अमेरिका भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है और मौजूदा 50% टैरिफ पहले से ही नुकसान पहुंचा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति का हिस्सा है, लेकिन इससे वैश्विक व्यापार युद्ध और तेज हो सकता है।