यूपी-NCR के 7 गैंगस्टरों का Bloody एंड,
आतंक मचाने वाले बने पुलिस की गोलियों का शिकार
1 days ago Written By: Ashwani Tiwari
End of 7 Most Wanted Gangsters: उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में लंबे समय तक अपराधियों का दबदबा रहा है। कई कुख्यात नामों ने दशकों तक दहशत फैलाई, लेकिन आखिरकार पुलिस और कानून के शिकंजे से बच नहीं पाए। कुछ का अंत एनकाउंटर में हुआ तो कुछ गैंगवार और हमलों में मारे गए। हाल ही में गाजियाबाद में हुई मुठभेड़ ने एक बार फिर साफ कर दिया कि अपराध चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसका अंत तय है। आइए जानते हैं उन सात बड़े अपराधियों की कहानी, जिनका आतंक मौत के साथ खत्म हुआ।
श्री प्रकाश शुक्ला का खौफ और एनकाउंटर 90 के दशक में गोरखपुर का गैंगस्टर श्री प्रकाश शुक्ला इतना खतरनाक हो गया था कि बड़े नेता तक उसे सुपारी के लिए हायर करते थे। उसके पास AK-47 जैसे आधुनिक हथियार रहते थे। 22 सितंबर 1998 को गाजियाबाद में STF ने उसे ऑपरेशन के दौरान मार गिराया। इस एनकाउंटर ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं।
रोमिल वोहरा का सफर और मौत दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर का गैंगस्टर रोमिल वोहरा महज 20 साल की उम्र में हत्या और शराब माफिया से जुड़े मामलों में वांछित हो गया। वह लॉरेंस बिश्नोई गैंग का शार्पशूटर था और उस पर 3 लाख का इनाम था। 24 जून 2025 को हरियाणा STF और दिल्ली पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में वह मारा गया।
गोगी की कोर्ट में हत्या दिल्ली का कुख्यात अपराधी जितेंद्र मान उर्फ गोगी रोहिणी कोर्ट में 24 सितंबर 2021 को हमलावरों की गोलीबारी में मारा गया। दो अपराधी वकील बनकर कोर्ट में घुसे और गोगी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। पुलिस ने हमलावरों को वहीं मार गिराया।
अनिल दुजाना की एनकाउंटर में मौत पश्चिमी यूपी का कुख्यात नाम अनिल दुजाना पर 60 से अधिक केस दर्ज थे। मई 2023 में मेरठ के पास STF की कार्रवाई में वह मारा गया। जेल से बेल पर बाहर आने के बाद वह गिरोह को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहा था।
जीतू बिश्नोई गैंग का शार्पशूटर ढेर हरियाणा के झज्जर का जीतू पैरोल पर छूटने के बाद फरार हो गया था और लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ गया। 2025 में मेरठ पुलिस और STF ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया। उसके पास से हथियार और बाइक बरामद हुई।
दिशा पटानी फायरिंग केस के आरोपी भी मारे गए 12 सितंबर 2025 को बरेली में अभिनेत्री दिशा पटानी के घर पर फायरिंग हुई थी। जांच में सामने आया कि इसमें रविंद्र और अरुण नाम के बदमाश शामिल थे, जो गोल्डी बरार गैंग से जुड़े थे। 17 सितंबर को गाजियाबाद में STF और दिल्ली पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर दोनों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
मुठभेड़ों से टूटा अपराधियों का नेटवर्क इन घटनाओं ने एक बार फिर साबित किया कि अपराध चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसका अंत या तो जेल में होता है या मौत में। यूपी और दिल्ली-एनसीआर की पुलिस की लगातार कार्रवाई से कुख्यात गैंगस्टरों का नेटवर्क कमजोर हुआ है।