थानों में बंद हुए CCTV कैमरे तो सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी,
जल्द आ सकता है बड़ा फैसला
4 days ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
पुलिस हिरासत में मौतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गंभीर रुख अपनाया है। यहां कोर्ट ने कहा कि थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी एक बड़ी समस्या है और इस मामले में 26 सितंबर को आदेश सुनाया जाएगा। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि यह “मामला अनदेखी का है।”
राजस्थान से शुरू हुआ स्वत: संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने चार सितंबर को एक खबर का स्वत: संज्ञान लिया था। रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि पिछले आठ महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 लोगों की मौत हुई, जिनमें से सात घटनाएं उदयपुर संभाग से थीं। यह आंकड़े मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाते हैं।
निगरानी और जवाबदेही पर जोर दरअसल, सुनवाई के दौरान जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि असली मुद्दा निगरानी का है। “आज हलफनामा हो सकता है, कल अधिकारी कैमरे बंद कर सकते हैं। हमें ऐसा सिस्टम बनाना होगा जिसमें कोई मानवीय हस्तक्षेप न हो। अगर कैमरा बंद हो जाए तो तत्काल अलर्ट मिले।” उन्होंने सुझाव दिया कि स्वतंत्र एजेंसी द्वारा पुलिस स्टेशनों का निरीक्षण होना चाहिए और तकनीकी सहायता के लिए IIT जैसी संस्थाओं को शामिल किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के पुराने निर्देश याद दिला दें कि, दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को CBI, ED और NIA समेत सभी जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था। साथ ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि हर थाने में प्रवेश और निकास द्वार, मुख्य गेट, हवालात, गलियारे लॉबी और रिसेप्शन तथा हवालात के बाहर का इलाका सीसीटीवी कैमरों से कवर किया जाए।
क्या बदलेगा ? अब सुप्रीम कोर्ट ऐसा मॉडल बनाने की सोच रहा है जिसमें सीसीटीवी की निगरानी पूरी तरह तकनीकी आधार पर हो, ताकि पुलिस हिरासत में मानवाधिकार उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।