UPSC: चार बार फेलियर, पांचवें अटेम्पट में मिली सफलता,
गर्लफ्रेंड की इस बात का उन पर पड़ा था बड़ा असर
6 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
UPSC 2024 Topper: हार नहीं मानी, मंजिल पा ली – प्रयागराज के अभि जैन ने UPSC 2024 में लहराया परचम, देशभर में हासिल की 34वीं रैंक, कभी चार बार असफलता का सामना किया, तो कभी फील्ड ड्यूटी के बीच पढ़ाई के लिए वक्त नहीं मिला। लेकिन इन सबके बावजूद प्रयागराज के अभि जैन ने हार नहीं मानी। लगातार कोशिश करते रहे और पांचवें प्रयास में UPSC की परीक्षा पास कर देशभर में 34वीं रैंक हासिल की। उनकी ये सफलता न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि सच्ची मेहनत और सही सोच से कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है।
बता दें कि प्रयागराज यूपीएससी 2024 में ऑल इंडिया 34वीं रैंक हासिल करने वाले अभि जैन ने अपनी सफलता का श्रेय पिता, भाई और गर्लफ्रेंड को दिया है। प्रयागराज के प्रधान डाकघर में तैनात अभि को जब यह खबर मिली, वे अपने ऑफिस में थे। अचानक फोन आया और उन्हें बताया गया कि उनका चयन हो गया है। अभि जैन का कहना है कि जब-जब वे असफल हुए, उनकी गर्लफ्रेंड ने उन्हें प्रेरित किया। वे खुद सरकारी नौकरी में हैं और अक्सर कहती थीं, मैं तो सरकारी नौकरी में हूं, अब तुम्हें मुझसे आगे जाना है। अभि ने इसे ही अपना लक्ष्य बना लिया।
पांचवें प्रयास में यूपीएससी में 34वीं रैंक की हासिल
अभि ने बताया कि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी 2020 में शुरू की थी। पहले प्रयास में वे 20 साल के थे। दूसरे अटेम्प्ट में 282वीं रैंक मिली। तीसरे में नाम ही नहीं आया और चौथे में प्री परीक्षा भी पास नहीं हो पाई। पांचवें प्रयास में उन्हें 34वीं रैंक मिली। उन्होंने कहा कि तैयारी के लिए कोई खास रणनीति नहीं थी। जब भी समय मिलता था, पढ़ाई कर लेते थे। लगातार प्रयास और आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी रही। अभि की पोस्टिंग 4 अक्टूबर 2024 को प्रधान डाकघर प्रयागराज में हुई थी। नवंबर से प्रयागराज महाकुंभ की तैयारी में पूरा डाक विभाग व्यस्त हो गया। अभि को मेल अधिकारी की जिम्मेदारी मिली, जिससे फील्ड में ज्यादा समय देना पड़ा और पढ़ाई का समय कम मिला। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
करंट अफेयर्स पर दिया खास ध्यान
उन्होंने इंटरव्यू के समय करंट अफेयर्स पर ज्यादा ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि परीक्षा कभी अंत नहीं होती, यह तो एक नई शुरुआत है। अभि ने बताया कि उनके पिता पहले खेती करते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। पिता के बीमार होने पर बड़े भाई ने जिम्मेदारी उठाई। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि लक्ष्य पर फोकस रखें और व्यावहारिक सोच के साथ मेहनत करें।