अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप से की अपील H-1B वीजा पर नई पाबंदियां हटाएं,
भारतीय प्रोफेशनल्स को बताया अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रीढ़
1 months ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से H-1B वीजा पर लगाए गए नए प्रतिबंध और 1 लाख डॉलर की अतिरिक्त फीस नीति पर दोबारा विचार करने की अपील की है। सांसदों ने कहा कि यह कदम अमेरिका-भारत संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि भारतीय प्रोफेशनल्स अमेरिका के आईटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेक्टर की रीढ़ हैं।
जिमी पनेटा के नेतृत्व में सांसदों ने लिखा पत्र यह पत्र अमेरिकी प्रतिनिधि जिमी पनेटा के नेतृत्व में सांसद अमी बेरा, सलूड कार्बाजल और जूली जॉनसन ने ट्रंप को लिखा है। सांसदों ने ट्रंप के 19 सितंबर के राष्ट्रपति आदेश ‘रिस्ट्रिक्शन ऑन एंट्री ऑफ सर्टेन नॉनइमिग्रेंट वर्कर्स’ की आलोचना की, जिसमें H-1B वीजा पर नई शर्तें और भारी फीस लगाई गई हैं। उनका कहना है कि यह नीति अमेरिकी टेक्नोलॉजी सेक्टर और भारत-अमेरिका साझेदारी दोनों के लिए हानिकारक होगी।
“भारत से आने वाला टैलेंट अमेरिका की ताकत है” सांसदों ने लिखा कि H-1B वीजा कार्यक्रम न सिर्फ अमेरिका की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है, बल्कि यह भारत के साथ मजबूत रिश्तों की नींव भी है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रोफेशनल्स ने अमेरिकी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और तकनीकी नवाचार में बड़ा योगदान दिया है।
चीन से मुकाबले में भारत की भूमिका अहम सांसदों ने अपने पत्र में कहा कि जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीक में आक्रामक निवेश कर रहा है, तब अमेरिका को अपने नवाचार तंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाशाली दिमागों को आकर्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देशों से आने वाले कुशल पेशेवर अमेरिका की दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा क्षमता और रक्षा उद्योग को मजबूत करते हैं।
भारतीयों का वर्चस्व – 71% H-1B धारक भारत से सांसदों के अनुसार, पिछले साल H-1B वीजा धारकों में 71% भारतीय थे, जो साबित करता है कि अमेरिका-भारत साझेदारी टेक्नोलॉजी और नवाचार के क्षेत्र में कितनी अहम है। सांसदों ने H-1B वीजा प्रोग्राम को अमेरिका की विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) शिक्षा प्रणाली का “आधार स्तंभ” बताया।
भारतीय-अमेरिकी बने अमेरिकी समाज की ताकत पत्र में कहा गया कि भारतीय-अमेरिकी और अन्य H-1B वीजा धारक न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था बल्कि स्थानीय समुदायों, विश्वविद्यालयों और नवाचार संस्थानों को सशक्त बना रहे हैं। वे अब अमेरिका की सामाजिक और आर्थिक संरचना का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।