अयोध्या मेडिकल कालेज में सुसाइड का केस,
KGMU पोस्टमार्टम हाउस में बदलवा दिया था बिसरा सैंपल,CDFD हैदराबाद की जांच में खुला राज, जांच के आदेश
17 days ago Written By: यूपी न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। केजीएमयू मोर्चरी के डॉक्टरों,कर्मचारियों ने अयोध्या मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार को बचाने के लिए मृतक का बिसरा का सैंपल ही बदलवा दिया। दूसरे के शव के अंगों की जांच कराकर डॉ ज्ञानेंद्र कुमार सहित अन्य दो एमबीबीएस विद्यार्थियों ने क्लीनचिट प्राप्त कर ली। बिसरा रिपोर्ट के नकली होने का खुलासा हैदराबाद सीडीएफडी लैब में हुए डीएनए परीक्षण के बाद हुआ।
गौरतलब है कि अयोध्या मेडिकल कॉलेज में संविदा कर्मी के रूप में तैनात रहे मृतक प्रभुनाथ मिश्रा को 19 जुलाई 2024 को तत्कालीन एमबीबीएस छात्रा ऋतु और निर्मला कुमावत द्वारा जबरदस्ती पर्चा बनाने को कहा था। प्रभुनाथ मिश्रा ने उनके आदेशों को मानने से इनकार कर दिया था। इस दौरान वहां पर विवाद हो गया। आरोप है कि दोनों छात्राओं ने अन्य साथी कर्मियों के साथ मिलकर प्रभुनाथ मिश्रा को बुरी तरह पीटा, जिससे वह घायल भी हो गया।
प्राचार्य ने भी शुरू कर दिया उत्पीड़न यह मामला मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने प्रभुनाथ मिश्रा का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। आरोप है कि प्राचार्य के उत्पीड़न से आहत होकर प्रभुनाथ मिश्रा ने जहर खा लिया। जहर खाने से प्रभुनाथ की तबियत बिगड़ गई। आनन-फानन में परिजनों ने प्रभुनाथ को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। हालत गंभीर होने पर परिजन प्रभुनाथ को लखनऊ के लोहिया अस्पताल लेकर पहुंच रहे थे, कि रास्ते में प्रभुनाथ की मौत हो गई।
KGMU में बदल दिया गया बिसरा का सैम्पल
प्रभुनाथ के मौत की सूचना मिलते ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया। अब प्राचार्य और मेडिकल छात्राओं सहित अन्य ने स्वयं को बचाने का स्वांग रचना शुरू कर दिया। खेल लखनऊ मेडिकल कॉलेज से ही शुरू हुआ, जहां पोस्टमार्टम से छेड़छाड़ की गई। रिपोर्ट में प्रभुनाथ को एल्कोहलिक दिखाया गया। अब चूंकि प्रभुनाथ के परिजनों को पता था कि प्रभुनाथ शराब नहीं छूता तक नहीं। इसलिए बिसरा सैंपल की जांच अन्यत्र लैब से कराने का निर्णय लिया।
लखनऊ पुलिस ने हैदराबाद भेजा बिसरा सैम्पल परिजनों के अनुरोध पर लखनऊ पुलिस ने सैंपल जांच हेतु सीडीएफडी हैदराबाद लैब भेज दिया। लैब रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि जो सैंपल जांच हेतु भेजा गया था उसके डीएनए का मिलान मृतक प्रभुनाथ मिश्रा के मा-बाप से नहीं हो रहा है। अर्थात पूर्व प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार और लखनऊ मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम स्टॉफ ने मिलकर पूरा खेल कर दिया।
सैंपल का माता-पिता से जैविक संबंध नहीः सीडीएफडी लैब
दिनांक 27 मार्च 2025 को CDFD हैदराबाद DNA मिलान की रिपोर्ट जारी करता है जो कि लखनऊ पुलिस द्वारा दिनांक 12 अप्रैल 2025 को मृतक प्रभुनाथ के परिजनों को दी जाती है, जिसका निष्कर्ष पढ़कर सभी के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। CDFD की डॉ पूजा त्रिपाठी अपनी रिपोर्ट में लिखती हैं कि मृतक प्रभुनाथ के अंगों के बिसरा नमूनों का जब जब उसके माता पिता के खून के नमूनों से मिलान किया गया तो DNA परीक्षण में यह पाया गया कि बिसरा का माता पिता से किसी भी प्रकार का जैविक सम्बन्ध नहीं है। मतलब DNA में साफ़ हो गया कि KGMU मोर्चरी के डॉ जिसने प्रभुनाथ मिश्रा का पोस्टमार्टम किया उसने मुख्य आरोपी डॉ ज्ञानेंद्र कुमार से मिली भगत कर उसको बचाने के लिए बिसरा बदल दिया और किसी दूसरी डेड बॉडी से सैंपलिंग कर दी और उस पर नाम प्रभुनाथ मिश्रा अंकित कर दिया।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने दिए जांच के आदेश मामले की सूचना मिलते ही सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए एक टीम गठित की गई है जो पूरे मामले की सिलसिलेवार ढंग से जांच करेगी। डिप्टी सीएम की सख्त तेवर को देखते हुए स्वास्थ्य महकमे में खलबली मच गई है। परिजनों की मांग है कि दोषियों पर हत्या की साजिश में मुकदमा चले और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाए।
ये भी देखें... मुंबई हमलों के आरोपी आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा का काला सच...