वक्फ कानून पर सुप्रीम सुनवाई शुरू,
70 याचिकाओं में 5 पर होगी बहस, जानिए क्या खास?
1 months ago
Written By: NEWS DESK
Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है । यहां जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस मसीह की बेंच ने सुनवाई की शुरुआत की। वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि तीन अहम मुद्दों को लेकर रोक की मांग की गई है, जिन पर सरकार पहले ही जवाब दाखिल कर चुकी है। वहीं, मामले के याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि मामला सिर्फ तीन बिंदुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वक्फ संपत्तियों पर बड़े पैमाने पर हो रहे अतिक्रमण की भी जांच जरूरी है। आपकों बता दें कि मामले को लेकर कुल 70 याचिकाएं दायर की गई थीं, कोर्ट के आदेश के बाद उनमे से 5 को चिन्हित कर उन पर सुनवाई की जा रही है।
सॉलिसिटर जनरल ने बताए तीन मुख्य मुद्दे:
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने तीन प्रमुख मुद्दे बताये, जिनपर गौर किया जाना था, जो इस प्रकार है:
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कोर्ट द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को सुनवाई के दौरान सूची से हटाया न जाए, चाहे वह वक्फ दस्तावेज आधारित हो या 'वक्फ-बाय-यूजर' यानी लंबे समय से उपयोग में आने के आधार पर घोषित हो।
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नए संशोधन में जो प्रावधान है कि जब तक कलेक्टर यह न जांच ले कि कोई संपत्ति सरकारी है या नहीं, उसे वक्फ न माना जाए -उसे फिलहाल लागू न किया जाए।
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वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, सिवाय उन लोगों के जो पद के कारण सदस्य बनते हैं।
केंद्र सरकार ने पेश किया था 1332 पन्नों का हलफनामा
दरअसल, केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को दायर अपने हलफनामे में वक्फ कानून को पूरी तरह संवैधानिक बताया था। दायर किये गए इस हलफनामे में यह भी कहा गया था कि, वर्ष 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से अधिक की वृद्धि हुई है, जिससे कई बार निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद उत्पन्न हुए हैं। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इन आंकड़ों को गलत ठहराया और कोर्ट से सरकार पर झूठा हलफनामा दाखिल करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
70 से अधिक याचिकाएं, 5 पर ही होगी सुनवाई
मिली जानकारी के अनुसार, नए वक्फ कानून के खिलाफ अब तक 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट फिलहाल पांच मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई कर रहा है। इनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है। यह नया कानून अप्रैल 2024 में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुआ था, जिसे लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों ने समर्थन दिया था। हालांकि, कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन बताया गया
दायर की गई याचिकाओं में कहा गया है कि, यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (धार्मिक भेदभाव का निषेध), 25 और 26 (धार्मिक स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है। साथ ही, वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करने की मनाही और जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्ति पर अंतिम निर्णय देने का अधिकार देना सरकारी दखलंदाजी को बढ़ावा देता है। याचिकाकर्ताओं का यह भी आरोप है कि इस कानून से मुस्लिम समुदाय को विशेष रूप से निशाना बनाया गया है, जबकि अन्य धार्मिक ट्रस्टों पर इस तरह की पाबंदियां नहीं हैं।
अगली सुनवाई में मुख्य बहस की उम्मीद
बताते चलें कि, फिलहाल इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज की बेंच कर रही है, क्योंकि पहले सुनवाई कर रही बेंच के प्रमुख जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो चुके हैं। जिसके बाद आने वाली सुनवाई में कानून की संवैधानिक वैधता और वक्फ संपत्तियों से जुड़ी जमीनी सच्चाइयों पर गहन बहस होने की उम्मीद है।