WhatsApp यूजर्स सावधान.. सिर्फ 30 मिनट में लीक हो गए 3 करोड़ मोबाइल नंबर,
Meta की 8 साल पुरानी लापरवाही का बड़ा खुलासा
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाला इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp एक बड़े विवाद में फंस गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके करीब 3.5 बिलियन यानी 350 करोड़ यूजर्स के मोबाइल नंबर ऑनलाइन लीक हो गए हैं। इसका मतलब यह है कि WhatsApp इस्तेमाल करने वाला लगभग हर व्यक्ति इस डेटा लीक का शिकार हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह गलती किसी हैकर की नहीं, बल्कि खुद ऐप की पेरेंट कंपनी Meta की लापरवाही से हुई है। साइबर एक्सपर्ट्स का दावा है कि Meta को इस खामी के बारे में साल 2017 से ही जानकारी थी, लेकिन उसने इसे नजरअंदाज कर दिया। अब यह खामी दुनिया के सबसे बड़े संभावित डेटा लीक की वजह बन सकती है।
WhatsApp की बड़ी चूक: 350 करोड़ नंबर हुए लीक WhatsApp में एक बड़ी सुरक्षा खामी सामने आई है, जिसकी वजह से लगभग हर यूजर का मोबाइल नंबर इंटरनेट पर लीक हो गया। यह वाकई हैरान करने वाली बात है क्योंकि इतना बड़ा डेटा लीक किसी हैकर ने नहीं बल्कि Meta की लंबे समय से चली आ रही लापरवाही के कारण हुआ। कंपनी इस मामले को अब अपने Bug Bounty Program का हिस्सा बता रही है, लेकिन असल बात यह है कि इसे कई साल पहले ही ठीक किया जा सकता था।
Meta को 2017 में चेतावनी, फिर भी अनदेखी University of Vienna के रिसर्चर्स ने इस खामी की जांच 2017 में ही की थी। सिर्फ 30 मिनट में उन्होंने अमेरिका के 3 करोड़ से ज्यादा WhatsApp नंबर निकाल लिए थे। हालांकि उन्होंने यह डेटा तुरंत डिलीट कर दिया और Meta को अलर्ट भी किया। साइबर एक्सपर्ट्स ने इस खामी को simple नाम दिया है, क्योंकि यह WhatsApp की एक बहुत ही सामान्य प्रोसेस में मौजूद थी।
नंबर चेक करने की प्रक्रिया में बड़ी कमजोरी जब हम किसी नंबर को फोन में सेव करते हैं, तो WhatsApp खुद बता देता है कि वह यूजर ऐप इस्तेमाल करता है या नहीं। इसी प्रक्रिया में बड़ी कमजोरी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर हैकर्स ने इस खामी का इस्तेमाल कर लिया तो यह इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक बन सकता है।
Meta की देरी: 8 महीने तक नहीं ली सुध रिसर्चर्स ने जो अमेरिकी नंबरों का डेटा पाया था, उसकी जानकारी Meta को 8 महीने पहले ही दे दी गई थी, लेकिन कंपनी ने कोई कदम नहीं उठाया। अब जब मामला मीडिया में आया, Meta इसे Bug Bounty Program का हिस्सा बताकर सफाई दे रहा है। कंपनी का कहना है कि यह खामी उसके यूनिवर्सिटी सहयोग (collaboration) में पकड़ी गई और अब इसे ठीक किया जा रहा है।