हर कश के साथ छोटी हो रही जिंदगी की डोर, हर साल 12 लाख सांसें निगल रहा तंबाकू,
निषेध दिवस पर लें जिंदगी का संकल्प
1 months ago
Written By: NEWS DESK
World No Tobacco Day: धुएं के हर कश के साथ ज़िंदगी की डोर और छोटी होती जाती है। फिर भी तंबाकू की लत न जाने कितनी सांसों को रोज़ खामोशी से निगल जाती है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस, यानी नो टोबैको डे, हर साल 31 मई को हमें इस सच्चाई से रूबरू कराता है कि तंबाकू सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि एक धीमा ज़हर है। यह दिन उन सभी के लिए एक चेतावनी है जो अब भी इसके आकर्षण में उलझे हुए हैं, और एक उम्मीद है उनके लिए जो इससे छुटकारा पाना चाहते हैं। वहीं, इस वर्ष यह दिवस “अपील का पर्दाफाश: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योगों की रणनीति को उजागर करना” की थीम पर मनाया जा रहा है। जिसका मकसद तंबाकू और निकोटीन उद्योगों की उन तरकीबों को उजागर करना है, जिनका इस्तेमाल वे अपने उत्पादों को युवाओं के लिए आकर्षक बनाने में करते हैं।
हर साल जान गंवा देते हैं 12 लाख लोग
वहीं, राजधानी लखनऊ के केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत बताते हैं कि तंबाकू उद्योग अपने उत्पादों में स्वाद और खुशबू बढ़ाने वाले एडिटिव्स मिलाते हैं, जिससे युवा वर्ग इसके प्रति आकर्षित हो जाता है और धीरे-धीरे इसकी लत में फंस जाता है। दरअसल, डॉ. सूर्यकांत, जो केजीएमयू में तंबाकू निषेध क्लिनिक के संस्थापक प्रभारी भी हैं, उन्होंने बताया कि भारत में हर साल करीब 12 लाख लोग तंबाकू और धूम्रपान के कारण जान गंवा देते हैं। तंबाकू सेवन से 25 तरह की बीमारियाँ और लगभग 40 प्रकार के कैंसर हो सकते हैं। इनमें मुँह, गले, फेफड़े, पेट और प्रोस्टेट का कैंसर प्रमुख हैं। इसके अलावा, यह ब्रेन ट्यूमर, ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टीबी, दिल का दौरा, लकवा, माइग्रेन, सिरदर्द, नपुंसकता और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी बनता है। तंबाकू का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए और भी खतरनाक होता है, जिससे कम वजन के शिशु का जन्म, गर्भस्थ शिशु की मृत्यु या जन्मजात बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है कोटपा अधिनियम
दरअसल, भारत सरकार ने तंबाकू के इन दुष्परिणामों को देखते हुए 2003 में 'कोटपा अधिनियम' लागू किया था, जिसके तहत तंबाकू के प्रचार-प्रसार, बिक्री और वितरण पर सख्त पाबंदी लगाई गई है। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर आर्थिक दंड का प्रावधान है और 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को तंबाकू बेचना अपराध की श्रेणी में आता है। साथ ही, शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। सरकार ने यह भी अनिवार्य किया है कि तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित की जाए ताकि लोग इसके खतरों को समझ सकें।
भारत में तंबाकू की चपेट में 27 करोड़ लोग
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 27 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। औसतन, लोग 18.7 वर्ष की उम्र में तंबाकू की आदत पकड़ते हैं, लेकिन 13-15 वर्ष के लगभग 2.2 करोड़ किशोर पहले ही इसकी चपेट में आ चुके हैं। लगभग आठ करोड़ किशोर परोक्ष धूम्रपान के संपर्क में आते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। डॉ. सूर्यकांत बताते हैं कि बीड़ी, सिगरेट की तुलना में ज्यादा खतरनाक होती है, क्योंकि इसमें निकोटीन की मात्रा कम होती है, जिससे इसकी तलब अधिक लगती है और व्यक्ति दिन में कई बार इसका सेवन करता है।
तंबाकू छोड़ने से होते हैं सकारात्मक बदलाव
डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक बदलाव शुरू हो जाते हैं। आठ घंटे के भीतर निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर घटने लगता है और ऑक्सीजन का प्रवाह सामान्य हो जाता है। चौबीस घंटे बाद शरीर से कार्बन मोनोऑक्साइड पूरी तरह निकल जाती है और दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। अड़तालीस घंटे बाद निकोटीन शरीर से पूरी तरह समाप्त हो जाता है और स्वाद व गंध की क्षमता वापस आने लगती है। एक महीने में त्वचा की रंगत बेहतर होने लगती है, झुर्रियाँ कम होती हैं और खांसी व कफ में राहत मिलती है। तीन से नौ महीने के भीतर फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। पांच साल बाद दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है और दस साल बाद फेफड़ों के कैंसर का जोखिम आधा रह जाता है।
डॉ. सूर्यकांत ने स्पष्ट किया है कि तंबाकू और धूम्रपान छोड़ना किसी एक व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समाज के लिए लाभदायक है। तंबाकू से होने वाली बीमारियों से बचाव का सबसे आसान तरीका है – इसे पूरी तरह त्यागना। इस विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम न केवल खुद तंबाकू से दूर रहेंगे, बल्कि दूसरों को भी इसके खिलाफ जागरूक करेंगे। यही एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवन की ओर पहला कदम होगा।