योगी आदित्यनाथ ने कहा — ‘युद्ध का मैदान भी हमारे लिए धर्मक्षेत्र है’;
गीता पर बल
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में कहा कि जहाँ धर्म और कर्तव्य होगा, वहाँ विजय होगी। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी मौजूद रहे। योगी ने कहा कि पूरे भारत को धर्मक्षेत्र मानते हुए कर्तव्य के लिए लड़ाई को भी धर्मक्षेत्र कहा जा सकता है। उन्होने लोगों से अहंकार छोड़ने और सदाचरण अपनाने की हिदायत दी। मुख्य वक्ता स्वामी ज्ञानानंद ने बताया कि यह आयोजन गीता के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करने का प्रयोजन है, न कि किसी प्रकार का प्रदर्शन।
धर्मक्षेत्र और कर्तव्य की सीख योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्मक्षेत्र का अर्थ केवल युद्ध नहीं, बल्कि कर्तव्यों से जुड़ा हर क्षेत्र है। जब किसी कार्य में धर्म और कर्तव्य का भाव होगा, तो सफलता मिलेगी। उन्होंने चेताया कि कोई भी यह मत समझे कि अनैतिक मार्ग से विजय संभव है। सनातन परंपरा में प्रकृति का नियम बना है — अच्छा करने से पुण्य मिलता है और बुरा करने से पाप। इस विचार से लोग अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
भारत की वैश्विक संदेशपंथी भूमिका मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने विश्व मानवता को हमेशा सहनशीलता और मानवता का संदेश दिया है। भारत ने कभी यह नहीं कहा कि हमारी ही पूजा सर्वोत्तम है। हमने जरूरतमंद को पनाह दी और संकट में साथ खड़े रहे। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ और ‘जियो और जीने दो’ जैसी शिक्षाएँ इसी भूमि ने दी हैं।
गीता के साथ जीवन जीने की प्रेरणा प्रोग्राम के मुख्य वक्ता स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि ‘जियो गीता’ का उद्देश्य लोगों को गीता के साथ जीने की आदत डालना है। उन्होंने बताया कि आधुनिक समय में भौतिकवाद ने सुविधाएँ दी हैं लेकिन समस्याएँ भी बढ़ीं हैं। आज विश्व में कई जगहों पर महाभारत जैसे संघर्ष दिख रहे हैं और गीता का उपदेश ही उनका समाधान है। कार्यक्रम में मौजूद नेताओं और साधुओं ने भी गीता के जीवनपरक संदेशों पर बल दिया। आयोजन में बड़ी संख्या में नागरिकों ने भाग लिया और कार्यक्रम शांतिपूर्ण तथा संगीतमय अंत के साथ समापन हुआ।