दिल्ली में बीजेपी की बड़ी जीत, लेकिन कौन बनेगा मुख्यमंत्री ?
क्या बीजेपी लगाएगी इन चेहरों पर दांव
2 months ago
Written By: Sushant Pratap Singh
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि पार्टी किसे मुख्यमंत्री बनाएगी? बीजेपी की राजनीति में यह पहले भी देखा गया है कि मुख्यमंत्री का नाम अंतिम समय तक सीक्रेट रखा जाता है। मनोहर लाल खट्टर, नायब सैनी, भजनलाल, योगी आदित्यनाथ जैसे कई नेता सीएम बनने से पहले खुद भी नहीं जानते थे कि उन्हें यह जिम्मेदारी मिलेगी। ऐसे में दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कौन आगे है, इस पर अटकलें तेज हो गई हैं।
जाट-गुर्जर-पंजाबी या पूर्वांचली, किस समुदाय से बन सकता है सीएम?
दिल्ली एक मिश्रित आबादी वाला शहर है, जहां पंजाबी, पूर्वांचली, जाट और गुर्जर समुदाय का दबदबा है। किसी एक समुदाय को खुश करने का मतलब दूसरे समुदाय को नाराज करना हो सकता है। यही वजह है कि बीजेपी इस बार किसी समुदाय विशेष के बजाय एक सर्वमान्य चेहरा तलाश रही है।
सबसे मजबूत दावेदार कौन?
प्रवेश वर्मा ने इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट से हराया है। उनकी जीत को बीजेपी की बड़ी रणनीतिक सफलता माना जा रहा है। अगर बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाती है, तो इससे सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि यूपी, हरियाणा और राजस्थान में भी बीजेपी की पकड़ मजबूत होगी।
वीरेंद्र सचदेवा वर्तमान में दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वह पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो दिल्ली में राजनीतिक रूप से बहुत प्रभावशाली है। अगर बीजेपी दिल्ली की सत्ता में पंजाबी वोटर्स को साधना चाहती है, तो वीरेंद्र सचदेवा का नाम मजबूत हो सकता है।
मनोज तिवारी पूर्वांचली वोटर्स के सबसे बड़े नेता हैं। उनकी लोकप्रियता और भोजपुरी फिल्मों की बैकग्राउंड उन्हें जनता के बीच प्रभावशाली बनाती है। अगर बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाती है, तो दिल्ली के 40% से ज्यादा पूर्वांचली वोटर्स पार्टी के प्रति और मजबूत हो सकते हैं। साथ ही, बिहार चुनाव पर भी इसका असर देखने को मिलेगा, क्योंकि बिहार में भी पूर्वांचली मतदाताओं का प्रभाव है।
लेकिन दिल्ली में बीजेपी शायद ही इन तीन नामों को सीएम पद के लिए आगे बढ़ाए । क्योंकि पार्टी किसी भी सूरत में किसी भी समुदाय को नाराज नहीं करना चाहेगी। अगर कोई पूर्वाचली सीएम बनता है तो जाहिर है कि पंजाबी समुदाय में एक संदेश जाएगा कि दिल्ली में उनका महत्व कम हो गया है। यही हाल किसी जाट या गुर्जर को मुख्यमंत्री बनाने में भी होगा। इसलिए ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि इन समुदायों से डिप्टी सीएम जरूर बनाए जाएंगे।
महिला मुख्यमंत्री बनने की संभावना अधिक
ऐसे कठिन परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी के पास एक ट्रंप कार्ड है, जिसका इस्तेमाल करके वो एक तीर से दो शिकार कर सकती है। अगर बीजेपी समुदाय आधारित राजनीति से बचना चाहती है, तो महिला मुख्यमंत्री बनाना एक मास्टरस्ट्रोक हो सकता है। इससे आम आदमी पार्टी की आतिशी और कांग्रेस की शीला दीक्षित की याद लोगों को आएगी।
बांसुरी स्वराज, मीनाक्षी लेखी और स्मृति ईरानी जैसी लोकप्रिय और तेजतर्रार महिला नेता बीजेपी के पास मौजूद हैं। ये सभी काम करने वाली, योग्य और जनता के बीच लोकप्रिय हैं। अगर बीजेपी महिला को मुख्यमंत्री बनाती है, तो यह महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए एक बड़ा दांव साबित हो सकता है। साथ ही, पंजाबी बनाम पूर्वांचली या जाट बनाम गुर्जर विवाद भी खत्म हो सकता है।
दिल्ली के CM फेस का बिहार चुनाव पर भी पड़ सकता है असर
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के फैसले का असर बिहार चुनाव पर भी देखने को मिल सकता है। अगर बीजेपी दिल्ली में पूर्वांचली नेता को सीएम बनाती है, तो इससे बिहार में भी बीजेपी को लाभ मिलेगा। बिहार के वोटर्स दिल्ली में बड़ी संख्या में बसे हैं, और उनका समर्थन बीजेपी को भविष्य में और मजबूती दे सकता है।
बीजेपी का अंतिम फैसला क्या होगा?
बीजेपी इस बार कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहेगी। पार्टी ऐसा चेहरा सामने ला सकती है, जो सभी समुदायों के लिए स्वीकार्य हो। किसी भी समुदाय को नाराज किए बिना मुख्यमंत्री का चयन होगा। संभवतः दो उपमुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं – एक पंजाबी और एक पूर्वांचली या जाट। महिला मुख्यमंत्री बनाने का भी गंभीरता से विचार हो सकता है।