हनुमान जी की स्पेस यात्रा के बाद अब पुष्पक विमान की राजनीति में इंट्री,
अनुराग ठाकुर के बाद शिवराज सिंह चौहान ने दिया बड़ा बयान
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सकुशल स्वदेश लौटने के बाद देशभर में उनका जोरदार स्वागत हो रहा है। लोग उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं। लेकिन इस बीच राजनीति का तापमान भी चढ़ा हुआ है। बीजेपी नेताओं के बयानों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। वहीं अंतरिक्ष यात्रा, प्राचीन तकनीक और भारतीय पौराणिक कथाओं को लेकर तर्क और मतभेद तेज हो गए हैं।
“हनुमान जी पहले अंतरिक्ष यात्री”
अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने छात्रों से सवाल किया कि अंतरिक्ष में जाने वाला पहला व्यक्ति कौन था। जब बच्चों ने जवाब दिया- नील आर्मस्ट्रांग, तो ठाकुर ने कहा कि उनका मानना है कि पहले अंतरिक्ष यात्री हनुमान जी थे। अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमें सिर्फ वही नहीं पढ़ना चाहिए जो अंग्रेज़ों ने हमें किताबों में दिया है, बल्कि वेदों, ग्रंथों और भारतीय ज्ञान परंपरा की ओर भी ध्यान देना चाहिए। उनका तर्क हनुमान जी की उस पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि बचपन में हनुमान सूर्य को फल समझकर आकाश की ओर उड़ गए थे।
“राइट ब्रदर्स से पहले था पुष्पक विमान”
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी प्राचीन तकनीक पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि राइट ब्रदर्स से पहले भारत में विमान मौजूद थे। उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि लंका के रावण के पास पुष्पक विमान था, जिसका इस्तेमाल सीता हरण के समय हुआ था। शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि महाभारत काल में भारत ड्रोन और मिसाइल तकनीक में भी बेहद आगे था। उन्होंने तर्क दिया कि हजारों साल पहले हमारे देश का विज्ञान और तकनीक काफी विकसित था।
विपक्ष का विरोध: “विज्ञान और मिथक को मिलाना खतरनाक”
बीजेपी नेताओं के इन बयानों पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। डीएमके सांसद कनिमोझी ने X (ट्विटर) पर लिखा, “पूर्व केंद्रीय मंत्री स्कूल के बच्चों से कह रहे हैं कि नील आर्मस्ट्रांग नहीं, बल्कि हनुमान जी चांद पर पहले कदम रखने वाले थे। यह बच्चों को गलत जानकारी देने के बराबर है। विज्ञान, मिथक नहीं है। वैज्ञानिक सोच का अपमान नहीं होना चाहिए।” कनिमोझी का कहना है कि भारत का भविष्य जिज्ञासा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में है, न कि तथ्यों और पौराणिक कथाओं को मिलाने में।