निकाय चुनावों में EVM नहीं बल्कि बैलेट पपेर का हो इस्तेमाल,
कैबिनेट ने चुनाव आयोग से की मांग
4 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
देशभर में एक तरफ जहां विपक्ष की तरफ से केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। राज्य सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) को सिफारिश की है कि अब सभी स्थानीय निकाय चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की जगह मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाए। सरकार का कहना है कि इस कदम से चुनाव प्रक्रिया में विश्वास, पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
ईवीएम पर घटते भरोसे के कारण लिया गया फैसला
कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल ने शुक्रवार को कैबिनेट बैठक के बाद यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में राज्य में लोगों के बीच ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर संदेह काफी बढ़ गया है। मतदाता सूची में विसंगतियों और “वोट चोरी” के लगातार आ रहे आरोपों को देखते हुए सरकार ने तय किया है कि मतदाताओं का भरोसा बहाल करने के लिए अब स्थानीय चुनावों में मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाएगा। मंत्री पाटिल ने कहा, “ईवीएम पर लोगों का विश्वास घट रहा है। मतदाता सूचियों में गड़बड़ियों और बड़ी संख्या में वोट चोरी की शिकायतों के बाद सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग से मतपत्रों के जरिए चुनाव कराने की सिफारिश करने का फैसला लिया है।”
राज्य निर्वाचन आयोग को मिले अधिक अधिकार
कैबिनेट बैठक में यह भी तय किया गया कि राज्य निर्वाचन आयोग को अब मतदाता सूचियों के निर्माण और संशोधन के लिए अतिरिक्त अधिकार दिए जाएंगे। मंत्री पाटिल ने स्पष्ट किया कि अब तक स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वही मतदाता सूचियाँ इस्तेमाल की जाती थीं, जो विधानसभा चुनावों के लिए तैयार की जाती हैं। हालांकि, अब राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अलग से उच्च गुणवत्ता वाली मतदाता सूचियाँ तैयार की जाएंगी। इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग को अधिकृत किया गया है कि वह मतदाता सूचियों को तैयार करे, उनमें आवश्यक संशोधन करे या जरूरत पड़ने पर पूरी सूची को दोबारा तैयार करे।
15 दिनों में होगा कानूनी बदलाव
मंत्री एच.के. पाटिल ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने इस फैसले के तहत सभी आवश्यक कानूनी बदलाव करने पर सहमति दे दी है। अगले 15 दिनों के भीतर नियमों और कानूनों में आवश्यक संशोधन कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा, “अगर किसी मौजूदा नियम में लिखा है कि चुनाव ईवीएम से कराने होंगे, तो उस नियम में बदलाव किया जाएगा। सरकार चुनाव आयोग को सिफारिश करेगी कि चुनाव कराने की प्रक्रिया कैसी होनी चाहिए। कैबिनेट ने इन संशोधनों पर अपनी मंजूरी दे दी है।”
मतदाता सूची की गुणवत्ता पर होगा जोर
सरकार का कहना है कि हाल के दिनों में मतदाता सूचियों में विसंगतियों को लेकर बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं। कई मतदाताओं के नाम सूचियों से गायब पाए गए हैं, जबकि कई जगहों पर एक ही व्यक्ति के नाम अलग-अलग सूचियों में दर्ज हैं। इन गड़बड़ियों को रोकने और गुणवत्तापूर्ण मतदाता सूचियाँ तैयार करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को विशेष अधिकार दिए जा रहे हैं। पाटिल ने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली मतदाता सूचियों के बिना निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव संभव नहीं हैं। सरकार चाहती है कि स्थानीय निकाय चुनावों में मतदाता सूची की पूर्ण शुद्धता सुनिश्चित की जाए।
ईवीएम पर बढ़ती शंकाओं के बीच मतपत्रों की वापसी
कर्नाटक सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब देशभर में ईवीएम की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दल लगातार चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। कर्नाटक में भी मतदाता सूची से जुड़े मामलों में शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिसके बाद सरकार ने मतपत्रों की वापसी को जरूरी माना। सरकार का मानना है कि मतपत्रों का इस्तेमाल करके जनता का विश्वास बहाल किया जा सकता है और चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह का संदेह नहीं रहेगा। पाटिल ने कहा कि चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
आगे की राह और संभावित असर
कर्नाटक सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की पूरी प्रक्रिया बदल जाएगी। ईवीएम की जगह मतपत्रों की वापसी का मतलब होगा कि चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी और मतदान प्रक्रिया में समय भी अधिक लगेगा। हालांकि, सरकार का दावा है कि जनता का विश्वास बहाल करने के लिए यह बदलाव जरूरी है। कर्नाटक का यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी नज़ीर बन सकता है, क्योंकि देशभर में ईवीएम को लेकर असंतोष और बहस लगातार बढ़ रही है।