आज भी मौजूद हैं राक्षसी ताकतें...
CM योगी ने यहां किसे कह दिया ताड़का और शूर्पनखा !
22 days ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर विधि विधान से पूजा अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि भले ही समय बदल गया है, लेकिन राक्षसी ताकतें आज भी समाज में मौजूद हैं।
रामायण और महाभारत के पात्रों से किया तुलना इस दौरान सीएम योगी ने अपने संबोधन में रामायण और महाभारत का उल्लेख करते हुए कहा कि तब से अब तक केवल नाम और परिस्थितियां बदल गई हैं, लेकिन नकारात्मक पात्र अब भी हमारे आधुनिक समाज में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति और पात्र रामायण एवं महाभारत काल जैसी ही हैं और समाज में अब भी राक्षसी शक्तियां सक्रिय हैं।
आज के राक्षसों का उदाहरण मुख्यमंत्री ने विपक्ष का नाम लिए बिना निशाना साधते हुए कहा कि समाज में ताड़का और शूर्पनखा जैसे राक्षस अभी भी मौजूद हैं, जो समाज को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि जो लोग जात-पात और छुआछूत के आधार पर समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, वे उसी तरह के आधुनिक राक्षस हैं। सीएम योगी ने समाज को बांटने वाले लोगों को पूर्व जन्म की ताड़का, मारीच और शूर्पनखा के समान बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग सनातन धर्म के खिलाफ तब भी काम करते थे और आज भी कर रहे हैं। जो लोग हमारी बेटियों के लिए खतरा हैं, उनके पूर्व जन्म में दुर्योधन या दुशासन के साथ होने की संभावना बताई।
सनातन धर्म और देश की प्रगति पर जोर सीएम योगी ने आगे कहा कि सनातन धर्म केवल पूजा-पद्धति नहीं है, बल्कि सभी जीव-जंतुओं और पूरे ब्रह्मांड के कल्याण की गारंटी है। उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जो भारत के वैभव और गर्व को नहीं मानते और सत्ता में रहते हुए भगवान राम और कृष्ण के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं तथा सनातन धर्म को बांटने का प्रयास करते हैं।
विकास और राम राज्य की याद मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 11 सालों में भारत की जनता जाग चुकी है। देश अब विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, जहां विरासत और प्रगति का संगम हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण राम राज्य की याद ताजा कराता है।
आरएसएस की 100वीं वर्षगांठ का जिक्र CM योगी न्ने विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया में किसी अन्य संगठन के पास ऐसा शानदार स्वरूप नहीं है। आरएसएस का निर्माण राजनीतिक ताकत पर नहीं, बल्कि स्वयंसेवकों के कठिन परिश्रम, बुद्धिमत्ता और निस्वार्थ समर्पण पर आधारित है।