PM-CM को हटाने वाले विधेयक का शशि थरूर ने किया समर्थन..!
बयान पर तेज हुई सियासत…
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
लोकसभा में बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक ऐसा विधेयक पेश कर दिया, जिसने संसद से लेकर सियासत के गलियारों तक हंगामा मचा दिया है। इस विधेयक के तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री अगर लगातार 30 दिन जेल में रहता है, तो 31वें दिन उसकी कुर्सी पर ताला लग जाएगा। यानि उनका पद छीन जाएगा। लेकिन विपक्ष को ये प्रावधान नागवार गुजरा और मामला अब संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास पहुंच गया है। वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस बिल का समर्थन किया है। जिसके बाद सियासी गलियारों में इसको लेकर चर्चाएं तेज हो गईं हैं।
शशि थरूर का बयान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस विवादास्पद बिल पर संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि, “मैंने अभी तक विधेयक को पढ़ा नहीं है, लेकिन शुरुआती तौर पर मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता। अगर कोई मंत्री 30 दिन जेल में बिताता है, तो क्या वो मंत्री बने रह सकते हैं? ये तो कॉमन सेंस की बात है। हालांकि, अगर इसके पीछे कोई और सोच है, तो इसे गहराई से पढ़ना पड़ेगा। न तो मैं इस समय बिल का समर्थन कर रहा हूं, न ही विरोध।”
क्या है बिल का प्रावधान?
अमित शाह ने लोकसभा में संविधान का 130वां संशोधन विधेयक पेश किया। इसमें साफ कहा गया है कि, "प्रधानमंत्री से लेकर किसी भी मंत्री तक, अगर किसी आपराधिक मामले में 30 दिन तक जेल में रहना पड़ता है, तो उन्हें 31वें दिन अपने पद से इस्तीफा देना होगा। अगर इस्तीफा नहीं दिया तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।" यानी सरकार के मंत्रियों के लिए “जेल में रहना” और “कुर्सी पर रहना” अब एक साथ संभव नहीं होगा।
विपक्ष का बवाल और प्रियंका गांधी की नाराज़गी
बिल पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने लोकसभा में जमकर हंगामा किया। यहां तक कि कांग्रेस सांसदों ने बिल की प्रतियां फाड़कर अमित शाह की ओर उछाल दीं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस विधेयक को "बेहद कठोर" करार देते हुए कहा, “कल आप किसी भी मुख्यमंत्री पर कोई भी केस दर्ज कर सकते हैं, उनकी दोषसिद्धि के बिना उन्हें 30 दिनों तक जेल में डाल सकते हैं और फिर वो मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे? ये पूरी तरह असंवैधानिक है।”
शशि थरूर का संतुलित बयान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस विवादास्पद बिल पर संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि, “मैंने अभी तक विधेयक को पढ़ा नहीं है, लेकिन शुरुआती तौर पर मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता। अगर कोई मंत्री 30 दिन जेल में बिताता है, तो क्या वो मंत्री बने रह सकते हैं? ये तो कॉमन सेंस की बात है। हालांकि, अगर इसके पीछे कोई और सोच है, तो इसे गहराई से पढ़ना पड़ेगा। न तो मैं इस समय बिल का समर्थन कर रहा हूं, न ही विरोध।”
JPC में भेजा गया बिल
विधेयक पर उठे विवाद के बाद मामला संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। इस पर थरूर ने कहा, “अगर इस पर JPC में चर्चा होगी तो ये लोकतंत्र के लिए बेहतर होगा। समिति के भीतर हर विषय पर खुलकर बात होनी चाहिए।”
अमित शाह की रणनीति और आगे की राह
अमित शाह का यह विधेयक राजनीतिक पारदर्शिता के मकसद से लाया गया है, लेकिन विपक्ष को इसमें दुरुपयोग की आशंका दिख रही है। अब सभी की निगाहें JPC की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि यह बिल संसद में पास होगा या किसी नई सियासी जंग की शुरुआत करेगा।