"नफरत फैलाने वालों का होना चाहिए बहिष्कार"...
सपा सांसद बर्क ने RSS पर साधा निशाना
23 days ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश की संभल सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सौ साल पूरे होने पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस की कथनी और करनी में साफ अंतर है। बर्क का आरोप है कि जहां संघ प्रमुख यह कहते हैं कि हर धार्मिक स्थल के नीचे मंदिर नहीं खोजना चाहिए, वहीं संघ से जुड़े लोग लगातार इसी मुद्दे को हवा देकर समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।
"नफरत फैलाने वालों का होना चाहिए बहिष्कार" सपा सांसद ने कहा कि कुछ लोग धर्म के नाम पर नफरत की भाषा बोलकर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों का समाज से बहिष्कार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें साफ दिखाई देता है कि आरएसएस प्रमुख की बात और उनके कार्यकर्ताओं के काम में मेल नहीं है।
अनुशासनहीनता या दोहरा रवैया? बर्क ने सवाल उठाया कि अगर ये लोग भी आरएसएस से जुड़े हैं और अपने प्रमुख की बात नहीं मानते, तो इसका मतलब है कि या तो संगठन में अनुशासन नहीं है, या फिर उनकी करनी और कथनी में फर्क है। उन्होंने कहा कि अगर आरएसएस एक संस्था है और बीजेपी उसकी राजनीतिक शाखा है तो उन्हें ऐसे काम करने चाहिए जिनसे देश तरक्की करे और आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद करें कि उन्होंने देश के लिए कुछ किया था, न कि उसे बांटने का काम।
दशहरे पर 'दिलों के रावण' जलाने की अपील यहां सपा सांसद ने दशहरे के मौके पर भी लोगों को संदेश देते हुए कहा कि हर साल हम रावण का पुतला जलाकर त्योहार मनाते हैं, लेकिन असल में ज़रूरत इस बात की है कि हम अपने दिलों के अंदर मौजूद रावण को भी जलाएं। उन्होंने कहा कि चंद लोगों की मानसिकता नफरत फैलाने वाली है और अगर वे सच में देशभक्त हैं तो उन्हें सही रास्ते पर आना होगा।
"सब धर्मों के लिए काम करना ही है सच्ची देशभक्ति" बर्क ने आगे कहा कि सच्ची देशभक्ति और धर्म के प्रति वफादारी तभी है जब इंसान सभी धर्मों का सम्मान करे और उनके लिए काम करे। उन्होंने कहा कि इस्लाम का संदेश यही है कि पड़ोसी चाहे किसी भी धर्म का हो, अगर वह भूखा सो रहा है और हम चैन की नींद सो रहे हैं तो हम सच्चे मुसलमान नहीं हो सकते। उनका कहना था कि धर्म का असली पैगाम इंसानियत और बराबरी है, और देश को भी इसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।