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अतीक अहमद वो नाम ... जिसे सुनकर पूरा पूर्वांचल सहम जाता था,आज काल का चक्र ऐसा घूमा कि उसका नाम सुनना भी लोगों को नागवार लगता है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस माफिया को मिट्टी में मिलाने की कसम खा ली, और आखिरकार कुछ ऐसा हुआ कि अतीक अहमद, हर अपराध में उसका साथ देने वाले उसके भाई अशरफ के साथ-साथ उसका का पूरा साम्राज्य ही मिट्टी में मिल गया।
बाहुबली अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का कत्ल हुए आज दो वर्ष का समय बीत गया है। चकिया इलाके में अतीक की शानदार कोठी अब वीरान खंडहर हो चुकी है। जहां कभी बैठकर माफिया अतीक और अशरफ फैसले सुनाते थे वहां अब कोई नहीं आता जाता। ये कोठी अब नशेड़ियों के लिए मुफीद जगह बा चुकी है। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद उनकी सल्तनत को संभालने की कोशिश में उसके गुर्गे लगे हुए हैं। लेकिन यह बात दीगर है कि सीएम योगी की दहशत से वह गुर्गे दूसरों के नाम पर जमीन का सारा खेल पर्दे के पीछे से कर रहे हैं।
अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या से शुरू हुआ अतीक की बर्बादी का सफर
गौरतलब है कि 25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी से बसपा विधायक राजू पाल की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। राजू पाल सिर्फ तीन महीने पहले ही चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे, और हत्या वाले दिन से केवल 9 दिन पहले उनकी शादी हुई थी। राजू पाल की हत्या में फूलपुर से समाजवादी पार्टी के तात्कालीन सांसद अतीक अहमद के छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ़ अशरफ का नाम सामने आया, राजू पाल ने विधानसभा चुनाव में अशरफ को ही हराया था। ऐसे में राजनीतिक दुश्मनी के चलते राजू पाल की हत्या कर दी गई। इस मामले में अतीक अहमद और अशरफ के साथ उसके कुछ गुर्गे आरोपी बनाए गए. इसी हत्याकांड के एक गवाह थे अधिवक्ता उमेश पाल। अधिवक्ता उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर की 24 फरवरी 2023 को हत्या गोली और बम मारकर उनके घर के सामने ही हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड की साजिश में जेल में बंद माफिया अतीक अहमद का नाम आया। अतीक के बेटे असद की तस्वीरें गोली मारते हुए सीसीटीवी में कैद हो गई। जिसके बाद असद और उसके साथियों की तलाश शुरू हुई. 13 अप्रैल 2023 को यूपी STF ने असद और उसके साथी गुलाम को एनकाउंटर में मार गिराया।
असद के एनकाउंटर के दो दिन बाद ही अतीक अशरफ की हत्या
13 अप्रैल को बेटे के एनकाउंटर के सिर्फ दो दिन बाद ही काल्विन हॉस्पिटल में अतीक और उसके भी अशरफ की तीन युवकों ने पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या के समय अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को जेल से मेडिकल करवाने के लिए लाया गया था। मौके से ही पुलिस ने तीनों शूटर्स को गिरफ्तार कर लिया था। तीनों हत्यारोपी लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह जेल में बंद हैं। पहले उन्हें नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल भेजा गया था, जहां से बाद में 18 नवंबर 2023 को सुरक्षा कारणों से चित्रकूट जेल भेज दिया गया। मौजूदा समय में दो हत्यारोपी चित्रकूट जेल और एक आगरा जेल में बंद है।
अतीक की आलीशान हवेली अब खंडहर
चकिया इलाके में अतीक की 2 बीघे में बनी शानदार हवेली थी। ये वही हवेली है जहां से कभी अतीक और उसके भी अशरफ की अदालत लगती थी। राजनीति से लेकर अपराध के काले कारनामों तक के फैसले यहीं बैठ कर लिए जाते थे। लेकिन इसे योगी सरकार में बुलडोजर से गिरवा दिया गया है, अब ये खंडहर हो चुकी है। इस घर के एक कोने में बने गैराज आज भी एक में लैंड क्रूजर खड़ी है ये वही गाड़ी है जिससे अतीक के बच्चे स्कूल जाते थे। इसके आलावा कुछ और गाडियां भी यहां कबाड़ बनी खडी हुई हैं ये सभी गाडियां कभी अतीक के काफिले की शान हुआ करती थीं। अतीक की शानदार हवेली जिसकी सुन्दरता की चर्चा कभी पूरे प्रयागराज में होती थी अब वह खंडहर है, वह अब नशेड़ियों के लिए मुफीद ठिकाना बन चुकी है।
अब अतीक अहमद का पूरा इतिहास जान लेते हैं
अतीक अहमद का जन्म इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में 1962 में हुआ था। उसका बचपन गरीबी में व्यतीत हुआ लेकिन अतीक शुरूआत से ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। अतीक के पिता हाजी फिरोज तांगा चलाते थे। जल्दी बड़ा आदमी बनने की चाह में अतीक ने जरायम का रास्ता पकड़ा और कुछ ही समय में वह क्राइम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। मात्र 17 साल की उम्र में अतीक पर हत्या का आरोप लगा था, उम्र बढ़ने के साथ-साथ जरायम की दुनिया में अतीक का नाम भी बढ़ने लगा। रंगदारी, जमीन पर कब्जा, हत्या समेत कई मामलों में उसका नाम सामने आया लेकिन हर बार वह कानूनी दांवपेंच में बच निकलता था।
चांद बाबा मर्डर, जिसने अतीक को डॉन अतीक अहमद बना दिया
जरायम की दुनिया में दस्तक देने के बाद अतीक कुछ ही सालों में जरायम की दुनिया में बड़ा अपराधी बन चुका था। उस दौर में इलाहाबाद में एक अपराधी चांद बाबा (Chand Baba) का सिक्का चलता था। चांद बाबा वही अपराधी था जिससे पुलिस भी डरती थी। अतीक का गैंग बढ़ा तो चांद बाबा से वर्चस्व को लेकर जंग होने लगी। इस बीच पुलिस को भी लगा कि अतीक और चांद बाबा को आपस में लड़ाकर वो कम से कम एक अपराधी से छुटकारा पा सकते है। पुलिस ने अतीक की मदद करना शुरू कर दिया।
अतीक ने विधायक बनते ही करवा दी चांद बाबा की हत्या
1989 में अतीक अहमद ने पहली बार विधायकी का पर्चा भरा और अपने सामने प्रत्याशी रहे चांद बाबा को हराते हुए जीत दर्ज की। विधायक बनने के करीब 3 महीने बाद अतीक ने दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या कर दी। अब तक अतीक के ऊपर 20 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके थे। यहीं से उसकी रास्ते आसान हो गए और वह जुर्म की दुनिया में आगे बढ़ता ही गया। अब अतीक यूपी में जरायम की दुनिया का सबसे बड़ा बादशाह बन चुका था। चांद बाबा के मारे जाने का अतीक को भरपूर फायदा मिला और उसके खौफ का साया इलाहाबाद से निकलकर पू्रे पूर्वांचल तक फैलने लगा। इसके बाद 1991 और 1993 में भी अतीक इलाहाबाद पश्चिम से निर्दलीय विधायक बना। इस दौरान समाजवादी पार्टी से उसकी नजदीकियां बढ़ने लगीं। साल 1995 में बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी अतीक का नाम आया और इनाम में उसे 1996 में सपा से टिकट मिला और जीत भी मिली। चार बार विधायक बनने के बाद अतीक अब संसद में बैठने का सपना देखने लगा। साल 1999 में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन मुंह की खानी पड़ी। साल 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से अतीक पांचवीं बार विधायक बना,पर संसद जाने की बेकरारी उसे चैन से बैठने नहीं दे रही थी। 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद सपा के टिकट पर इलाहाबाद की फूलपुर सीट से चुनाव जीत गया। जिससे उसके संसद पहुँचने का सपना पूरा हो गया।
मायावती सरकार से शुरू हुआ अतीक के साम्राज्य का खात्मा
साल 2007 की बात है,विधानसभा के चुनाव का रिजल्ट आया तो सूबे में मायावती की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी और इधर सपा ने भी अतीक को पार्टी से निकालकर अपना पल्ला झाड़ लिया। यहीं से अतीक के जीवन में बुरे दिनों की शुरुआत हुई। इधर राजू पाल की पत्नी पूजा पाल उसके भाई अशरफ को चुनाव में हरा कर पश्चिमी सीट से विधायक बनीं और उधर और मायावती ने अतीक को मोस्ट वॉन्टेड घोषित करके ऑपरेशन अतीक शुरू कर दिया। 1986 से 2007 के दौरान के एक दर्जन से ज्यादा मामले अतीक पर गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज किए गए और उसके सिर पर 20 हजार का इनाम रख दिया गया। उसकी करोड़ों की संपत्ति सीज कर दी गईं, बिल्डिंगें गिरा दी गईं। इसके बाद उसे दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया।
दहशत ऐसी कि जज ने खुद को केस से अलग कर लिया
साल 2012 में अतीक ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना दल से पर्चा भरा और इलाहाबाद हाईकोर्ट में बेल की अर्जी दी। उसके आतंक का आलम ये था कि हाईकोर्ट के 10 जजों ने एक-एक करके केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया। 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक को बेल दे दी। इस बार बसपा से पूजा पाल के सामने अतीक अहमद खुद मैदान में था, लेकिन लोकतन्त्र ने अपनी ताकत दिखाई और उसकी हार हुई। हालांकि, राज्य में एक बार फिर सपा की सरकार बन गई। यह अतीक के लिए मन की मुराद पूरा होने जैसा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे सुल्तानपुर से टिकट मिला लेकिन सपा में ही विरोध हो गया तो उसे श्रावस्ती शिफ्ट कर दिया गया। यहां भाजपा के दद्दन मिश्रा ने उसे हरा दिया।
अखिलेश के अध्यक्ष बनने के बाद अतीक के लिए बंद हो गए सपा के दरवाजे
इस बीच मुलायम सिंह परिवार में आपसी खींचतान शुरू हो चुकी थी, जो आगे चलकर अतीक के लिए मुसीबत का सबब बन गई। 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सपा के उम्मीदवारों की जो लिस्ट निकली उसमें अतीक का नाम कानपुर कैंट से उम्मीदवार के रूप में था। 22 दिसंबर को अतीक 500 गाड़ियों के काफिले के साथ कानपुर पहुंचा। आलम ये था कि जिधर से काफिला गुजरता, जाम लग जाता। तब तक अखिलेश यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके थे और उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी में अतीक के लिए कोई जगह नहीं। अतीक को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया गया।
योगी सरकार आते ही नेस्तनाबूत हुआ माफिया अतीक अहमद का साम्राज्य
इलाहाबाद के एक कॉलेज में तोड़फोड़ करने और अधिकारियों को धमकाने के मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई और अतीक को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। 2017 विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले अतीक को गिरफ्तार कर लिया गया। सारे मामलों में उसकी जमानत रद्द हो गई और उसे जेल भेज दिया गया। कानून के साथ खिलवाड़ कर रहे अतीक के ताबूत में आखिरी कील ठोंकी गई के रूप में आई। योगी के सीएम बनते ही अतीक के खिलाफ कई मामलों की जांच शुरू हो गई। इसके बाद से लेकर अब तक अतीक की सैकड़ों करोड़ रुपए से ज्यादा की गैर कानूनी संपत्तियों पर बुलडोजर चल चुका है। अतीक का पूरा परिवार बिखर चुका है। अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या हो चुकी है। पत्नी और परिवार के कई सदस्य फरार हैं।
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