राजनीति से अवध ओझा का संन्यास: 10 महीने में ही छोड़ी सक्रिय राजनीति,
AAP नेताओं ने दी प्रतिक्रिया
8 days ago
Written By: Aniket Prajapati
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराने वाले चर्चित शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। ओझा पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की पटपड़गंज सीट से आप के टिकट पर मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लगभग 10 महीने बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राजनीति छोड़ने की जानकारी देते हुए सबको चौंका दिया।
X पोस्ट में ओझा ने कहा—“राजनीति से संन्यास मेरा निजी फैसला”
अवध ओझा ने अपने पोस्ट में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं—अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह—का धन्यवाद देते हुए लिखा, “आप सभी ने मुझे जो स्नेह और सम्मान दिया, उसके लिए मैं जीवनभर ऋणी रहूंगा। राजनीति से संन्यास लेना पूरी तरह मेरा निजी निर्णय है। अरविंद, आप एक बड़े नेता हैं। पटपड़गंज की जनता का विशेष धन्यवाद, जिन्होंने मुझे अपार प्रेम दिया। जय हिंद।” ओझा के इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। समर्थकों ने उनकी नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएँ दीं, जबकि कुछ ने इसे राजनीति की अनिश्चितता का उदाहरण बताया।
सोमनाथ भारती नाराज़—“राजनीति शॉर्ट टर्म प्रोजेक्ट नहीं”
ओझा के फैसले पर आप नेता और मालवीय नगर के पूर्व विधायक सोमनाथ भारती ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राजनीति लंबे समय की प्रतिबद्धता मांगती है और ओझा जैसे अनुभवी व्यक्ति को इसमें आने से पहले ज्यादा विचार करना चाहिए था।भारती ने लिखा “अवध ओझा जी, आपके प्रति मेरा व्यक्तिगत सम्मान है, लेकिन राजनीति कोई शॉर्ट-टर्म प्रोजेक्ट नहीं। पार्टी ने आपको इस भरोसे पर टिकट दिया कि परिणाम कुछ भी आए, आप संगठन के साथ खड़े रहेंगे। कई लोग थे जिन्होंने शुरुआत से मेहनत की, जिन्हें टिकट मिल सकता था।”
“AAP भारत का भविष्य है”—सोमनाथ भारती
भारती यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे लिखा कि आम आदमी पार्टी देश के उन 90% आम लोगों की बात करती है जिनके मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं से जुड़े हैं।उन्होंने कहा “देश की दो बड़ी पार्टियों के भाषण सुन लीजिए। कोई भी आम आदमी की वास्तविक जरूरतों पर बात नहीं करता। हमें मिलकर AAP को हर राज्य में मजबूत करना होगा।”
राजनीति में ओझा की छोटी लेकिन चर्चित पारी
अवध ओझा के राजनीति में आने को उस समय बड़ा फैसला माना गया था। UPSC छात्रों में उनकी बड़ी लोकप्रियता और डिजिटल मौजूदगी से उम्मीद थी कि वे राजनीति में नई ऊर्जा लाएंगे। लेकिन हार के बाद लगभग एक वर्ष के भीतर ही उनका राजनीति से संन्यास लेना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि ओझा अब फिर से पूर्णकालिक शिक्षण या नए क्षेत्र की ओर रुख करेंगे, लेकिन उनका यह कदम सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ चुका है।