हिंदुओं ने त्याग दी बलि प्रथा, यह कुप्रथा कब त्यागेगा मुस्लिम समाज,
डॉ राजकमल का बकरीद को लेकर करारा प्रहार
7 days ago
Written By: NEWS DESK
Bakrid Animal Sacrifice: आने वाले बकरीद पर्व सियासत फिर शुरू हो गई है। विश्व हिंदू परिषद केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ राजकमल गुप्ता ने कहा कि पशुओं की कुर्बानी से नदियां प्रदूषित होती हैं और सड़कों पर गंदगी फैलती है। पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। अगर कुर्बानी करनी ही है तो मुस्लिम समाज के लोग सांकेतिक कुर्बानी करें।
जब हिंदुओं ने बलि प्रथा को त्यागा तो मुस्लिम क्यों नहीं
उन्होंने हिंदुओं में बलि प्रथा का हवाला देते हुए कहा कि जब जब हिन्दू मंदिरों पर होने वाली बलि को पशु क्रूरता बता कर उस पर रोक लगा दी गई और हिंदू समाज ने इसे सरलता से स्वीकार भी किया, एसे में बकरा ईद पर हजारों निरीह पशुओं की कुर्बानी पर भी तो रोक लगनी चाहिए। उन्होंने पर्यावरण प्रेमियों पशु प्रेमियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं।
पर्यावरण और पशु प्रेमियों की चुप्पी पर सवाल
उन्होंने कहा कि आखिर लाखों निरीह जानवरों की जान क्यों ली जाती है और सात्विक समाज के मन मस्तिष्क को खराब क्यों किया जाता है? कहा कि दिपावली और होली जैसे हिंदू त्योहारों पर यह पर्यावरण प्रेमी और बुद्धिजीवी हिंदुओं को सांकेतिक रूप में या इको फ्रेंडली होली और दिवाली मनाने का आह्वान करते हैं। लेकिन मात्र एक दिन में करोड़ों निरीह पशुओं की हत्या पर ये सभी कथित पर्यावरण विद् चुप्पी क्यों साध लेते हैं? कहा की सात्विक समाज मांसाहारी नहीं है, उसे बकरा ईद पर सड़कों पर खून, मांस और पशुओं के अवशेष देख कर बहुत परेशानी होती है।
शाकाहारी हिंदुओं की भावनाओं का रखें ध्यान
डॉ राजकमल गुप्ता ने कहा कि जो हिन्दू शाकाहारी है, उनकी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए। कुर्बानी की जो वर्तमान व्यवस्था है यह तत्काल समाप्त होनी चाहिए। नालियों, नदियों में खून और सड़कों पर मांस पड़ा होने के कारण शाकाहारी लोग सड़कों पर नहीं निकल पाते हैं। इसलिए हमारी आस्था का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद इस मामले में पूरे तरीके से जागरूकता अभियान चलाएगा और जो गलत काम है उसका हम विरोध करेंगे। न्यायालयों को भी इसका तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।