बिहार मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव: गृह विभाग नीतीश से छिना,
सम्राट चौधरी को जिम्मेदारी
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
बिहार में नई कैबिनेट बनते ही बड़ा राजनीतिक बदलाव देखे गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लंबे समय तक अपने पास रखे गए गृह विभाग का प्रभार छोड़ दिया है और यह विभाग अब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (भाजपा) के पास चला गया है। साथ ही वित्त विभाग भी नए बंटवारे के साथ सामने आया है। दो दशकों तक गृह मंत्रालय संभालने वाले नीतीश के हाथ से यह शक्तिशाली विभाग जाना सीधा संदेश माना जा रहा है। राजनीतिक जानकार इसे सत्ता संतुलन और गठबंधन के अंदरूनी समीकरणों का परिणाम बता रहे हैं।
सम्राट चौधरी की बढ़ी भूमिका और लोकप्रिय नारा सम्राट चौधरी अब गृह विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे और इससे उनका दायरा काफी बढ़ गया है। सम्राट पहले भी सार्वजनिक रूप से कहते रहे हैं कि अपराधियों को या तो जेल में होना चाहिए या कब्र में। इस बयान और उनके सख्त अंदाज ने उन्हें अब गृह विभाग के जरिए अपराध नियंत्रण की प्रमुख ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। उनके पास अब पुलिस और कानून-व्यवस्था से जुड़ी सारी शक्तियाँ होंगी। यह बदलाव सम्राट की राजनीतिक मजबूती को और बढ़ाता दिखता है।
नीतीश की छवि, मजबूरी या सामरिक फैसला? नीतीश कुमार को बिहार में ‘सुशासन बाबू’ कहा जाता है क्योंकि वे लंबे समय से कानून-व्यवस्था पर फोकस करते रहे हैं। आमतौर पर गृह विभाग वहीं नेता संभालता है जो राज्य की असल पकड़ रखता है। 2025 में गृह विभाग का अलग होना यह संकेत देता है कि सत्ता का बैलेंस अब गठबंधन के भीतर बदल गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह फैसला गठबंधन में संतुलन बनाये रखने या भाजपा के साथ समझौते का नतीजा हो सकता है।
क्या बदलेगा बिहार का प्रशासनिक चेहरा? गृह विभाग सम्राट के पास होने से संसाधन और निर्णय गृह प्रशासन की दिशा में जाएंगे। वहीं नीतीश का रोल अब अपेक्षाकृत प्रशासनिक व समन्वयकारी चेहरा बनकर रह सकता है। यह परिवर्तन राज्य की नीतियों, अपराध-नियंत्रण और प्रशासनिक निर्णयों में असर डाल सकता है। ग्रामीण और शहरी इलाकों में सुरक्षा-व्यवस्था के मामलों में सम्राट की प्रतिबद्धता पर लोगों की निगाहें होंगी।