बिहार चुनाव के बाद सियासी हलचल तेज: AIMIM, BSP और IIP के विधायकों पर JDU की नजर,
पाला बदलने की चर्चाएं गर्म
1 months ago Written By: Aniket prajapati
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य की सियासत अचानक गर्म हो गई है। चुनाव खत्म होते ही राजनीतिक दलों में पाला बदलने की आशंकाएं बढ़ गई हैं। आमतौर पर टिकट कटने के डर से चुनाव से पहले नेताओं का पलायन होता है, लेकिन चुनाव के बाद सत्ता पक्ष के साथ जाने की प्रवृत्ति भी अक्सर देखी जाती है। इस बार भी ऐसा ही माहौल बनता दिख रहा है। चर्चाओं के अनुसार, कई छोटे दलों के विधायक सत्ताधारी खेमे के रडार पर हैं और गुपचुप तरीके से संपर्क की कोशिशें जारी हैं। हालांकि इन चीज़ों का आधिकारिक रूप से पता तब ही चलता है, जब विधायक वास्तव में दल बदल देते हैं।
AIMIM, BSP और IIP—इन तीन दलों पर सबसे ज्यादा नजर इस चुनाव में इंडियन इनक्लूसिव पार्टी (IIP) के एकमात्र विधायक आईपी गुप्ता, बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सतीश कुमार सिंह और AIMIM के पाँच विधायक जीतकर आए हैं। माना जा रहा है कि सत्ताधारी एनडीए खेमे की सबसे ज्यादा नजर इन्हीं दलों पर है। आईपी गुप्ता पहले भी कह चुके हैं कि वह पान समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा देने वाले किसी भी दल का समर्थन करने को तैयार हैं। साथ ही चर्चा है कि उनकी गुप्त मुलाकातें एनडीए नेताओं से हो रही हैं। AIMIM और BSP का इतिहास भी बताता है कि पिछली बार कई विधायक टूटकर दूसरी पार्टियों में शामिल हो चुके हैं।
पहले भी टूटे थे AIMIM विधायक, इस बार फिर आशंका 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM के पाँच विधायक जीते थे, जिनमें से चार बाद में RJD में शामिल हो गए थे। उस समय महागठबंधन को सत्ता में आने की उम्मीद थी। इस बार NDA को सीधे बहुमत मिला है, इसलिए चर्चा है कि जेडीयू फिर से AIMIM विधायकों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि जेडीयू के मंत्री जमा खान इस काम में लगे हुए हैं और AIMIM विधायकों के संपर्क में हैं। यदि चार विधायक फिर पाला बदलते हैं, तो जेडीयू की संख्या भाजपा के बराबर यानी 89 हो सकती है।
BSP और IIP भी निशाने पर BSP के इतिहास में पिछले 20 सालों में 13 विधायकों ने चुनाव जीतने के बाद दूसरी पार्टियों का दामन थामा है। इस बार रामगढ़ सीट से मात्र 30 वोटों से जीतने वाले BSP विधायक सतीश कुमार सिंह यादव भी सुर्खियों में हैं। BSP का आरोप है कि उन्हें मंत्री पद का प्रलोभन देकर जोड़ने की कोशिश हो रही है। IIP के विधायक आईपी गुप्ता भी जेडीयू के संपर्क में बताए जा रहे हैं।
कांग्रेस के 6 विधायक भी रडार पर कांग्रेस के छह विधायक भी एनडीए के निशाने पर हैं। 2018 में कांग्रेस टूट का सामना कर चुकी है। ऐसी स्थिति में सत्ता का प्रलोभन मिलने पर कांग्रेस विधायकों के टूटने की भी संभावना जताई जा रही है।
क्यों बढ़ रही है तोड़फोड़ की चर्चाएं? जेडीयू के कोटे के छह मंत्री पद अभी खाली हैं। माना जा रहा है कि दूसरे दलों से पाला बदलकर आने वाले विधायकों को इन पदों का लालच दिया जा सकता है। BSP ने जो आरोप लगाए हैं, उनसे यह साफ होता है कि राजनीतिक गतिविधियां भीतर ही भीतर चल रही हैं।