For all thing design,delivered to your inbox
Brajesh Pathak DNA Controversy: लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) मीडिया सेल और उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बीच शुरू हुआ ट्विटर वार अब और तीखा होता जा रहा है। सपा की विवादित 'DNA' टिप्पणी पर उठे बवाल में अब पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी कूद पड़े हैं। उन्होंने एक लंबी पोस्ट के जरिए ब्रजेश पाठक को आत्ममंथन की सलाह दी है। वहीं उस पर पलटवार करते हुए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने टिप्पणी कर रहे यूजर्स को शिशुपाल कहकर संबोधित किया है तथा उन्हें सपा के पुराने शीर्ष नेताओं के भाषण सुनने की नसीहत दी है। जिसके बाद यह पूरा विवाद सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है।
अखिलेश यादव की सलाह: "धर्म और नैतिकता को मत भूलिए"
अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से पोस्ट कर ब्रजेश पाठक को संबोधित करते हुए लिखा कि राजनीति करते हुए व्यक्ति को न तो नैतिकता भूलनी चाहिए और न ही धर्म जैसी संवेदनशील भावना को ठेस पहुंचानी चाहिए। उन्होंने पाठक से आत्मचिंतन करने और अपने भीतर के अच्छे इंसान से क्षमा मांगने का आग्रह किया। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि आपकी टिप्पणी को किसी भी आस्थावान व्यक्ति द्वारा अन्यथा लिया जा सकता है।
ब्रजेश पाठक का पलटवार: "शिशुपालों का इलाज कर रहे हैं योगेश्वर"
अखिलेश के पोस्ट पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने लगभग 10 घंटे बाद प्रतिक्रिया दी। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि अखिलेश यादव को अपने कार्यकर्ताओं को लोहिया, जेपी और जनेश्वर मिश्र के भाषण सुनवाने चाहिए। पाठक ने आगे कहा, "हैरानी की बात है कि अराजकता की संस्कृति के ये शिशुपाल अब बचाव में योगेश्वर कृष्ण का नाम लेने लगे हैं। हे योगेश्वर, इन शिशुपालों का ऐसा ही उपचार करते रहना, जैसे उत्तर प्रदेश की जनता कर रही है।"
सपा की विवादित पोस्ट पर छिड़ा था विवाद
दरअसल इस विवाद की शुरुआत शुक्रवार रात सपा मीडिया सेल की एक पोस्ट से हुई, जिसमें ब्रजेश पाठक के राजनीतिक सफर और DNA पर सवाल उठाया गया। पोस्ट में दावा किया गया कि पाठक का DNA "सोनागाछी और GB रोड" से जुड़ा है—ये दोनों स्थान भारत के कुख्यात रेड लाइट एरिया के तौर पर जाने जाते हैं। पोस्ट में कहा गया कि ब्रजेश पाठक इतनी पार्टियां बदल चुके हैं कि उन्हें खुद नहीं पता उनका असली DNA क्या है और कहां का है। इस टिप्पणी पर ब्रजेश पाठक भड़क उठे और अखिलेश यादव से सीधे सवाल पूछा कि क्या ये उनकी पार्टी की भाषा है और क्या उनकी पत्नी डिंपल यादव इस स्त्री-विरोधी मानसिकता का समर्थन करेंगी?
पुलिस तक पहुंचा मामला, केस दर्ज
विवाद गहराने के बाद ब्रजेश पाठक के समर्थन में कई वकील और नागरिक सामने आए। इंदिरानगर निवासी अच्युत पांडेय ने हजरतगंज थाने में एफआईआर की मांग करते हुए शिकायत दी। वहीं, अधिवक्ता चारू मिश्रा ने वजीरगंज कोतवाली में केस दर्ज कराया। अन्य वकीलों ने भी थानों में जाकर विरोध दर्ज कराया और कठोर कार्रवाई की मांग की। विवाद बढ़ने पर सपा मीडिया सेल ने पोस्ट को डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक यह सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा चुकी थी।
अब पढ़िए पोस्ट पर अखिलेश की सफाई और तंज
डिप्टी CM का पलटवार सामने आने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी एक लम्बी—चौड़ी पोस्ट कर सफाई दी। अखिलेश ने सफाई के साथ ही बृजेश पाठक को भी बयानबाजी पर लगाम लगाने की नसीहत दे डाली। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा, हमने डिप्टी सीएम की टिप्पणी का संज्ञान लिया है। पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाने की बात कही है, जो समाजवादियों के डीएनए पर दी गई आपकी ‘अति अशोभनीय टिप्पणी’ से आहत होकर अपना आपा खो बैठे। आइंदा ऐसा न हो, हमने उनसे तो यह आश्वासन ले लिया है, लेकिन आपसे भी यही आशा है कि आप जिस तरह की बयानबाजी निरंतर करते आए हैं, उस पर भी विराम लगेगा। आप जिस स्तर के बयान देते हैं, वह भले ही आपको अपने व्यक्तिगत स्तर पर उचित लगते हों, लेकिन आपके पद की मर्यादा और शालीनता के पैमाने पर किसी भी तरह उचित नहीं ठहराए जा सकते।
उन्होंने आगे लिखा, “एक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में आपसे यह अपेक्षा तो है ही कि आप यह समझते होंगे कि किसी के व्यक्तिगत ‘डीएनए’ पर भद्दी बात करना दरअसल किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि युगों-युगों तक पीछे जाकर उसके मूलवंश और मूल उद्गम पर आरोप लगाना है।”
उन्होंने लिखा कि, “जैसा कि सब जानते हैं, हम यदुवंशी हैं। यदुवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। ऐसे में आपके द्वारा हमारे डीएनए पर किया गया प्रहार धार्मिक रूप से भी हमें आहत करता है। हम जानते हैं कि आपका धर्मप्रधान व्यक्तित्व ऐसा नहीं है कि वह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति ऐसी दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी कर सकता है। लेकिन एक सामान्य, भोला व्यक्ति, जो भगवान श्रीकृष्ण ही नहीं, बल्कि किसी भी भगवान में विश्वास करता है, वह आपकी टिप्पणी को अन्यथा भी ले सकता है। ऐसे में आपसे आग्रह है कि राजनीति करते-करते न अपनी नैतिकता भूलिए और न ही धर्म जैसी संवेदनशील भावना को जाने-अनजाने में ठेस पहुंचाइए।”
उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि, “आशा है कि आप अपनी टिप्पणी के लिए अपने अंदर बैठे हुए उस अच्छे इंसान से क्षमा मांगेंगे, जो पहले ऐसा न था। आप अगर एकांत में बैठकर अपने विगत वर्षों के व्यवहार, विचार और व्यक्तित्व का निष्पक्ष अवलोकन-आलोचन करेंगे, तो पाएंगे कि मूल रूप से आपके विचारों में पहले कभी भी ऐसा विचलन न था, न ही आपकी राजनीतिक आकांक्षाएं ऐसी थीं कि आप व्यक्तिगत स्तर पर आदर्श को भूल जाएं और अपना शाब्दिक संतुलन खो बैठें।”
अखिलेश ने आगे इस बात को यहीं खत्म करने की नसीहत भी दी। उन्होंने लिखा कि, “आशा है, इस बात को यहीं खत्म समझा जाएगा और राजनीति की शुचिता को बचाए-बनाए रखने के लिए आप नकारात्मक राजनीति की संगत से यथोचित दूरी बनाकर अपने विवेक और विचार को पुनः सही दिशा की ओर मोड़ेंगे। एक जनसेवक होने के नाते हम सबके पास जनसेवा के लिए वैसे भी समय हमेशा कम रहता है। ऐसे में व्यर्थ के विषयों में न उलझकर हमें सकारात्मक राजनीति के उद्देश्यों पर अडिग रहकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।”
डिप्टी सीएम का अखिलेश को करारा जवाब,
अखिलेश के लम्बे-चौड़े पोस्ट के बाद डिप्टी सीएम ने भी पोस्ट करके करार जवाब दिया। उन्होंने लिखा कि, “सपा मीडिया सेल के साथी आलोचना करने के दौरान जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उसे पढ़कर लगता ही नहीं कि यह पार्टी राममनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र की पार्टी रही है। जॉर्ज साहब की बात तथाकथित "समाजवादी" भूल गए कि शिविर लगाया करो, पढ़ा-लिखा करो।”
इस दौरान उन्होंने सपा के लोगों को उनके शीर्ष नेताओं के भाषण सुनवाने की नसीहत भी दी। उन्होंने लिखा कि, “अखिलेशजी! सपाइयों को लोहिया-जेपी पढ़ाइए और पंडित जनेश्वर जी के भाषण सुनवाइए, ताकि इनके आचरण और उच्चारण में समाजवाद झलके। लोहिया की किताबें आप के पास न हों, तो मैं उपलब्ध करवा सकता हूं। ...हे महान लोहिया, जनेश्वरजी! इन नादानों को क्षमा करें, इन्हें कुछ पढ़ाया-लिखाया, सिखाया और समझाया नहीं गया।”
उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि, “ये नहीं जानते कि समाजवाद क्या है? इन्होंने समाजवाद को गाली-गलौज, उद्दंडता और स्तरहीन टिप्पणियों की प्रयोगशाला बना दिया है। जब विपक्ष में रहते हुए इनका यह रूप है, तो सत्ता में होते हुए इन्होंने क्या किया होगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। हैरानी ये भी है कि उद्दंडता, अश्लीलता और अराजकता की संस्कृति के ये शिशुपाल अपने बचाव में योगेश्वर कृष्ण का नाम लेने का दुस्साहस भी कर लेते हैं। हे योगेश्वर कृष्ण! इन शिशुपालों का ऐसे ही उपचार करते रहना, जैसे यूपी की जनता पिछले दस सालों से करती आ रही है। यही इनकी नियति होगी।"
सपा मीडिया सेल के साथी आलोचना करने के दौरान जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उसे पढ़ कर लगता ही नहीं कि यह पार्टी राममनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र की पार्टी रह गई है। जार्ज साहब की बात तथाकथित "समाजवादी " भूल गए कि शिविर लगाया करो, पढ़ा - लिखा करो ।
— Brajesh Pathak (@brajeshpathakup) May 18, 2025
अखिलेशजी ! सपाइयों को…
Copyright © 2025 UP News Network. All Rights Reserved