कर्नाटक में सत्ता का घमासान: डीके शिवकुमार का परोक्ष वार,
सिद्धारमैया पर बढ़ा दबाव
1 months ago Written By: Aniket prajapati
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता को लेकर खींचतान एक बार फिर तेज हो गई है। सरकार के आधे कार्यकाल पूरे होते ही दोनों नेताओं के समर्थक सक्रिय हो गए हैं और सत्ता हस्तांतरण को लेकर विवाद गहराता दिखाई दे रहा है। इस बीच डीके शिवकुमार की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी है, जिसे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर सीधा कटाक्ष माना जा रहा है।
डीके शिवकुमार का संदेश—“जुबान का पक्का होना ही ताकत” डीके शिवकुमार ने अपनी पोस्ट में कहा, “Word Power, World Power… अपनी बात पर कायम रहना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है।” उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन संदेश बेहद स्पष्ट था। राजनीतिक तौर पर इसे सिद्धारमैया को याद दिलाने के रूप में देखा जा रहा है कि ढाई साल बाद सत्ता हस्तांतरण का वादा किया गया था और अब उसे निभाने का समय आ चुका है।
ढाई साल के समझौते पर चला रहा है डीके कैंप दबाव कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का 20 नवंबर को आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है। 2023 में सरकार बनने के समय यह समझौता हुआ बताया जाता है कि सिद्धारमैया ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे और उसके बाद सीएम की कुर्सी डीके शिवकुमार को दी जाएगी। सरकार के आधे कार्यकाल पूरा होते ही डीके कैंप एक्टिव हो गया है। समर्थक विधायकों का कहना है कि कांग्रेस को दिए गए वादों पर कायम रहना चाहिए और पार्टी नेतृत्व को इस पर जल्द फैसला करना चाहिए।
दिल्ली पहुंचे विधायक, हाईकमान से लगाई गुहार रविवार रात कांग्रेस के कुछ विधायक दिल्ली पहुंचे और हाईकमान से मुलाकात की। इन विधायकों ने डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठाई। हालांकि लौटकर उन्होंने मीडिया से कहा कि अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व ही करेगा, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी भ्रम को खत्म करना अब जरूरी हो गया है।
राजनीतिक भविष्य का संकेत? कर्नाटक कांग्रेस का यह उथल-पुथल आने वाले महीनों में बड़ा राजनीतिक मोड़ ला सकती है। जहां सिद्धारमैया के समर्थक स्थिरता पर जोर दे रहे हैं, वहीं डीके शिवकुमार के समर्थक वादे पर अमल की मांग कर रहे हैं। हाईकमान पर अब दो बड़े नेताओं के बीच संतुलन साधने की बड़ी जिम्मेदारी है।