भतीजे को लेकर तंज पर टूटी मायावती की चुप्पी, चंद्रशेखर पर बोला हमला,
कहा- बरसाती नेता कर रहे हैं माहौल खराब
7 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: बसपा सुप्रीमो मायावती और भतीजे आकाश आनंद के बीच सियासत में तकरार तेज हो गई है। मायावती ने सोमवार को सांसद चंद्रशेखर आजाद के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिना नाम लिए उन्हें बरसाती मेंढक कहा और चेतावनी दी कि ऐसे लोग बहुजन समाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं। चंद्रशेखर ने कहा था कि आकाश को जनता ने नकार दिया है और बसपा प्रमुख मायावती के पास उनके लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। इसके बाद मायावती ने सोशल मीडिया पर तीन पोस्ट करके साफ किया कि बसपा एकमात्र बहुजन हितैषी पार्टी है, जिसमें अवसरवादी नेताओं की कोई जगह नहीं है।
फिर चर्चा में मायावती के भतीजे आकाश आनंद
आकाश आनंद मायावती के सबसे छोटे भाई के बेटे हैं। उन्हें पहले 10 दिसंबर 2023 को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था, लेकिन 7 मई 2024 को उनकी जिम्मेदारियां छीन ली गईं क्योंकि मायावती ने उन्हें अपरिपक्व बताया था। इसके बाद 23 जून 2024 को आकाश को फिर से पार्टी का उत्तराधिकारी और कोऑर्डिनेटर बनाया गया, लेकिन मार्च 2025 में सभी जिम्मेदारियां वापस ले ली गईं और 3 मार्च को पार्टी से ही बाहर कर दिया गया। आकाश ने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पहली बार नगीना में जनसभा की थी, जहां उन्होंने बिना नाम लिए चंद्रशेखर पर हमला बोला था कि वे युवाओं को बहकाते हैं और प्रदर्शन करवा कर उनके भविष्य को खराब कर रहे हैं।
चंद्रशेखर की वजह से बढ़ीं बसपा की चुनौतियां
चंद्रशेखर के नगीना से चुनाव लड़ने से बसपा की मुश्किलें बढ़ गई थीं। इसलिए बसपा ने मौजूदा सांसद गिरीश चंद्र का टिकट काटकर सुरेंद्र पाल सिंह को उम्मीदवार बनाया था। चंद्रशेखर अपनी लोकप्रियता के कारण खासकर दलित और मुस्लिम युवाओं के बीच मजबूत माने जाते हैं।
2017 में पहली बार मायावती संग दिखे आकाश
राजनीतिक सफर की बात करें तो आकाश आनंद पहली बार 2017 में मायावती के साथ जनसभा में नजर आए थे। 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था। उन्होंने लंदन से एमबीए की पढ़ाई की है और उनकी शादी बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य की बेटी से हुई है।
बसपा की स्थिति हुई बेहद कमजोर
बसपा की वर्तमान स्थिति पिछले समय के मुकाबले बहुत कमजोर है। 2007 में 206 विधानसभा सीटें जीतने वाली बसपा अब केवल एक विधायक के साथ सिमटी हुई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा को कुल वोटों का केवल 12.9 प्रतिशत मिला। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा की स्थिति और भी कमजोर हो गई, जहां उसका वोट प्रतिशत 2019 के 19.43% से घटकर 9.35% रह गया। इस बीच मायावती और उनके परिवार के भीतर सियासी उठापटक और बाहरी दबाव पार्टी के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।