मायावती की राजनीति में वापसी: रैलियों से लेकर नाइट कैंप तक,
2027 चुनाव की बड़ी तैयारी
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय बाद एक बार फिर मायावती की जोरदार एंट्री दिख रही है। लखनऊ की रैली में उमड़ी भीड़ ने साफ संदेश दिया कि बसपा सुप्रीमो अभी भी अपने समर्थकों के बीच गहरी पकड़ रखती हैं। रैली में शामिल लोग अपने साथ रोटियां तक लाए थे, जिससे पता चलता है कि उनकी लोकप्रियता का असर अब भी खत्म नहीं हुआ। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि यह सिर्फ एक रैली नहीं, बल्कि मायावती की सक्रिय राजनीति में पूरी तरह वापसी का संकेत है। 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बसपा ने अभी से मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है और मायावती खुद इस अभियान का चेहरा बनने जा रही हैं।
लखनऊ रैली ने दिखाया मायावती का पुराना असर सीनियर पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री कहते हैं कि यह भीड़ बसपा की नहीं, बल्कि मायावती की थी। लोग खाने-पीने की व्यवस्था के बिना सिर्फ उन्हें सुनने आए थे। यह संकेत है कि उनका पुराना वोट बैंक अभी भी उनकी वापसी का इंतजार कर रहा था।
बसपा की गिरती सीटें और मायावती की नई शुरुआत 2007 में 206 सीटें मिलने के बाद बसपा का ग्राफ लगातार गिरता गया। 2012 में 80, 2017 में 19 और 2022 में सिर्फ 1 सीट मिली। अब 2027 से पहले मायावती फिर से जमीन पर उतरी हैं। 9 अक्टूबर की लखनऊ रैली और 19 नवंबर की दिल्ली मीटिंगें इसी रणनीति का हिस्सा हैं।
18 मंडलों में नाइट कैंप, कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव मायावती कांशीराम के दौर की तरह फिर से नाइट कैंप करेंगी। 18 मंडलों में रात बिताकर वो कार्यकर्ताओं से सीधी बात करेंगी। उद्देश्य—
कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के बीच दूरी खत्म करना
फीडबैक लेना
नए लोगों को जोड़ना
दलित वोटर को संदेश देना कि उनकी नेता वापस आ गई हैं
दलित-मुस्लिम (DM) फॉर्मूला और ओवैसी से तालमेल सोर्स बताते हैं कि मायावती और ओवैसी के बीच सीट-शेयरिंग पर बात लगभग तय है। दलित-मुस्लिम वोट बैंक 23-24% तक माना जाता है, जो चुनाव को पलटने की ताकत रखता है। बसपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये समीकरण अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा।
RSS की तरह घर-घर पहुंचने की तैयारी युवा दलित कार्यकर्ता मानते हैं कि इस बार बसपा टीम बिना शोर किए घर-घर जाएगी। कहा गया है कि यह काम चुनाव से कम से कम 6 महीने पहले तैयार होना चाहिए।
मिश्रा–माया–आकाश की तिकड़ी फिर सक्रिय सतीश चंद्र मिश्रा, मायावती और उनके भतीजे आकाश फिर से एक साथ काम कर रहे हैं। पार्टी का दावा है कि आकाश भविष्य में कांशीराम की तरह मायावती की विरासत आगे ले जाएंगे।
6 दिसंबर को नोएडा में बड़ी रैली अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर मायावती नोएडा में विशाल रैली करने जा रही हैं। यह रैली पश्चिमी यूपी में पार्टी की खोई जमीन वापस लाने की कोशिश होगी।