पूर्वोत्तर के नेताओं ने मिलकर बनाई नई राजनीतिक इकाई,
45 दिनों में रिपोर्ट पेश करेगी समिति
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
पूर्वोत्तर भारत की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। मेघालय के मुख्यमंत्री और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के प्रमुख कॉनराड संगमा, टिपरा मोथा पार्टी के नेता प्रद्योत माणिक्य और पूर्व भाजपा प्रवक्ता एम. किकोन ने मंगलवार को एक नई राजनीतिक इकाई के गठन का ऐलान किया। इस नई इकाई का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को एक साझा मंच प्रदान करना है ताकि उनकी आवाज राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूती से उठाई जा सके।
मिलकर काम करने का लिया गया फैसला
नई राजनीतिक इकाई के गठन की घोषणा करते हुए कॉनराड संगमा ने कहा कि सभी नेताओं ने मिलकर पूर्वोत्तर के विकास और अधिकारों की रक्षा के लिए एक साझा प्लेटफॉर्म बनाने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जो अगले 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। संगमा ने स्पष्ट किया कि यह नया मंच किसी राजनीतिक दल से टकराव के लिए नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर के लोगों के कल्याण के लिए बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य पूर्वोत्तर के लोगों को एक आवाज देना है, ताकि उनकी समस्याओं और जरूरतों को सही तरीके से देश के सामने रखा जा सके।”
भूमि अधिकारों की सुरक्षा प्रमुख मुद्दा
मेघालय के मुख्यमंत्री ने कहा कि समिति को अन्य राजनीतिक दलों से बातचीत करने और सहयोग का दायरा बढ़ाने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि इस नई इकाई की प्राथमिक चिंता स्वदेशी लोगों के भूमि अधिकारों की सुरक्षा होगी। संगमा ने यह भी संकेत दिया कि समय आने पर एनपीपी, टिपरा मोथा और अन्य दल मिलकर एक नई राजनीतिक पार्टी के रूप में कार्य कर सकते हैं।
“हम झगड़ा करने नहीं, अधिकारों के लिए आए हैं” – प्रद्योत माणिक्य
टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत माणिक्य ने कहा कि यह गठबंधन किसी संघर्ष या विवाद के लिए नहीं, बल्कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा, “हम अपने लोगों के लिए पूरे विश्वास और सच्चाई से बोलना चाहते हैं। हमारे विचार भले अलग हों, लेकिन हमारा लक्ष्य एक है — पूर्वोत्तर के लोगों का सम्मान और अधिकार सुनिश्चित करना।” उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी कई बार ऐसे प्रयास किए गए हैं, लेकिन इस बार नेता गंभीरता से एकजुट होकर आगे बढ़ रहे हैं। इस घोषणा के साथ ही राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि यह नई इकाई आने वाले वर्षों में पूर्वोत्तर की राजनीति में एक मजबूत विकल्प बन सकती है।