आखिर चाहते क्या हैं ओपी राजभर… बिहार से उठी गूंज,
यूपी की राजनीति में मचा तूफान
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
UP Politics News: उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों एक ही सवाल पर अटकी हुई है। ओम प्रकाश राजभर क्या संकेत देना चाह रहे हैं? योगी सरकार में मंत्री रहते हुए भी बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की तारीफ, BJP पर तंज कसते हुए यह कहना कि पांच-पांच मुख्यमंत्री, 80 मंत्री और पूरी केंद्र सरकार एक लड़के से लड़ रही है। इन बयानों ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। ऐसा लग रहा है कि बिहार चुनाव तो बस बहाना है, लेकिन असली बार्गेनिंग टेबल यूपी की राजनीति में सज चुकी है।
बिहार बहाना, निशाना यूपी? सूत्रों की मानें तो ओपी राजभर ने बिहार चुनाव से पहले NDA से 25 से 30 सीटों की मांग की थी. मांग न मानी गई तो उन्होंने 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. अब वे खुले तौर पर NDA को हराने की बात कर रहे हैं. उनका संदेश साफ है, मुझसे पंगा मत लो, मैं खेल बिगाड़ भी सकता हूं और बना भी सकता हूं. राजभर का तेजस्वी प्रेम नया नहीं है. अब वे सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि अगर ज्यादा वोटिंग हुई तो तेजस्वी की सरकार बनेगी. उन्होंने कहा कि उन्होंने गूगल पर चेक किया है.
पूर्वांचल में 20 सीटों पर राजभर फैक्टर पूर्वांचल की लगभग 20 सीटों घोसी, बलिया, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ में राजभर समाज की बड़ी पकड़ है। माना जाता है कि यहां एक बयान भी वोटों का रुख बदल सकता है। यही वजह है कि राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह पूरा खेल 2027 के यूपी चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाने का है।
क्या 2019 की कहानी फिर दोहराई जा रही है? 2019 में ओपी राजभर ने BJP के खिलाफ मोर्चा खोला था। 2022 में वे फिर NDA में लौट आए, लेकिन अब वही स्क्रिप्ट दोबारा दिख रही है। इस बार उनकी मांगें बड़ी हैं।
OBC आरक्षण में अति-पिछड़ों का हिस्सा बढ़ाना
2027 में 20-25 सीटों का पैकेज
डिप्टी सीएम या राज्यसभा सीट की डील
बिहार की वोटिंग से यूपी का गणित क्यों बदला? बिहार में 68% मतदान ने सभी दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। राजभर का दावा है कि ज्यादा वोटिंग RJD के पक्ष में जाती है। यह बयान सिर्फ बिहार के लिए नहीं, बल्कि यूपी के वोट बैंक को भी संदेश देने वाला है। अगर बिहार में NDA कमजोर रहता है तो उसका मनोवैज्ञानिक असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ेगा।
सज चुकी है राजभर की दुकान राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि अगर 2026 से पहले BJP ने राजभर की मांगें नहीं मानीं, तो वे फिर NDA से दूरी बना सकते हैं। अखिलेश यादव पहले ही उनसे संवाद का रास्ता खुला रखे हुए हैं। साफ है कि 2027 की राजनीति के लिए ओपी राजभर ने अपनी चालें अभी से चलनी शुरू कर दी हैं।