अगर मंदिरों में ताकत होती तो गजनवी-गौरी नहीं लूटते भारत
—सपा विधायक के बयान से हिंदू आस्था पर चोट
9 days ago Written By: State Desk
लखनऊ: समाजवादी पार्टी से इन दिनों विवादित बयानों की बौछार का दौर जारी है। यहां एक ओर सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान पर चल रहा विवाद थमा ही नहीं था कि सोमवार को सपा के विधायक इंद्रजीत सरोज द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं की शक्तियों को चुनौती देने वाला बयान सामने आया है। जिसमें सपा विधायक ने कहा है कि, “अगर भारत के मंदिरों में ताकत होती, तो मोहम्मद गजनवी और मोहम्मद गोरी भारत को लूटने नहीं आते।” सपा विधायक ने रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास पर भी टिप्पणी की है। जिसके बाद सपा नेताओं द्वारा दिए जा रहे हिन्दू आस्था को चोट पहुंचाने वाले बयानों के चलते यूपी में सियासी माहौल गर्म है।
ताकत मंदिरों में नहीं, सत्ता में
दरअसल, सपा विधायक इंद्रजीत सरोज सोमवार को प्रयागराज के सपा कार्यालय में आंबेडकर जयंती के कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विधायक ने भारत के मंदिरों और हिन्दू देवी-देवताओं की शक्तियों को चुनौती दे डाली। अपने बयान में विधायक ने कहा, “अगर भारत के मंदिरों में ताकत होती, तो मोहम्मद गजनवी और मोहम्मद गोरी भारत को लूटने नहीं आते। हमारे देवी-देवता इतने शक्तिशाली नहीं थे। 712 ईस्वी में मोहम्मद बिन कासिम अरब से इस देश में आया और देश को लूटा। मोहम्मद गोरी इस देश को लूटने आया था, तो इस देश के देवी-देवताओं ने क्या किया? उन्हें मुसलमानों को श्राप देना चाहिए था। वे राख हो जाते, मर जाते, अंधे हो जाते। इसका मतलब है कि कुछ कमी है और हमारे देवी-देवता इतने शक्तिशाली नहीं हैं।” उन्होंने कहा, “मंदिरों में ताकत नहीं थी, असली ताकत सत्ता में है। बाबा (योगी आदित्यनाथ) अपना मंदिर छोड़कर सत्ता के मंदिर में विराजमान हैं और हेलीकॉप्टर पर घूमते हैं।”
'शूद्रों को नहीं था गीता, रामायण पढ़ने का अधिकार'
योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए सरोज ने कहा कि हमें नकली हिंदू बनाकर हमारे वोट का सौदा किया जाता है और फिर राजपाठ लेकर हेलीकॉप्टर से चलते हैं। उन्होंने प्राचीन भारत में शूद्रों के साथ होने वाले कथित भेदभाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “रामायण, रामचरितमानस, महाभारत और गीता की रचना के समय शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं था। अगर वे पढ़ने की कोशिश करते, तो उनकी आंखें फोड़ दी जाती थीं। सुनने की कोशिश करते तो कान में पिघला हुआ सीसा डाल दिया जाता था। यदि वे जीभ से उच्चारण करते, तो उनकी जीभ काट दी जाती थी। उन्हें सार्वजनिक रास्तों पर चलने की अनुमति नहीं थी। उन्हें कमर में झाड़ू और पैर में पुराने कपड़े बांधकर चलना पड़ता था।”
'तुलसीदास ने लिखी शूद्रों के लिए लिखी गाली'
इंद्रजीत सरोज ने रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “उन्होंने शूद्रों के लिए भर-भर कर गालियां लिखी हैं।” उन्होंने तुलसीदास के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा, “हमें लिख दिया कि नीच जाति में जो शिक्षा प्राप्त कर लेता है, वह ठीक वैसे ही हो जाता है जैसे सांप दूध पीने के बाद अत्यधिक जहरीला हो जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि, “ब्राह्मणों के लिए लिखा है कि उनकी पूजा होनी चाहिए, चाहे वह गुणहीन ही क्यों न हो, लेकिन शूद्र की पूजा नहीं होनी चाहिए, चाहे वह जितना भी गुणी और प्रवीण क्यों न हो।”