स्वामी प्रसाद मौर्य मायावती को आखिर क्यों दे रहें हैं बार-बार हाथ मिलाने का ऑफर,
सियासत की बड़ी चाल सामने
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी साख को वापस पाने की कोशिश में जुटे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर बसपा में वापसी के संकेत दिए हैं। वाराणसी में मीडिया से बात करते हुए मौर्य ने कहा कि अगर बीएसपी प्रमुख मायावती बाबासाहेब आंबेडकर के मिशन पर आगे बढ़ती हैं, तो उनसे हाथ मिलाने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है। मौर्य 2017 में बसपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, फिर 2022 में समाजवादी पार्टी में गए और अब लोक मोर्चा गठबंधन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनका फोकस दलित मुद्दों को एकजुट करना और 2027 विधानसभा चुनाव में तीसरे विकल्प के रूप में उभरना है।
धर्मगुरुओं पर तीखा हमला स्वामी प्रसाद मौर्य ने स्वामी रामभद्राचार्य और बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री पर तीखा हमला किया। उन्होंने रामभद्राचार्य की भाषा को अश्लील बताते हुए कहा कि वह संत वेश में ओछी हरकतें कर रहे हैं। बाबा धीरेंद्र शास्त्री को ढोंगी पाखंडी करार देते हुए मौर्य ने आरोप लगाया कि ये देश को बांटने का काम कर रहे हैं। मौर्य के ये बयान धार्मिक संवेदनाओं को छूने वाले हैं और राज्य में सियासी ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ा सकते हैं।
मायावती से संबंध और रणनीति मौर्य ने कहा कि अगर मायावती अपने आंबेडकरवादी मिशन को साबित करती हैं, तो बीएसपी में वापसी पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा, कहा कि विपक्ष में रहते हुए भी सपा बीजेपी को हराने में सफल नहीं होगी। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मौर्य की यह बयानबाजी 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले दलित वोट बैंक को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा है।
दलित-बहुजन आंदोलन का चेहरा बनने की कोशिश स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। अब वे खुद को दलित-बहुजन आंदोलन का चेहरा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, सवाल यह है कि क्या मायावती उन्हें बीएसपी में वापसी की अनुमति देंगी। फिलहाल, मौर्य की चालें उत्तर प्रदेश की सियासत में नया मोड़ ला रही हैं।