उपेंद्र कुशवाहा ने परिवारवाद के आरोपों का दिया करारा जवाब,
बोले- यह फैसला पार्टी बचाने के लिए जरूरी था
1 months ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बने नए एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी शामिल हुई और उनके बेटे दीपक प्रकाश ने मंत्री पद की शपथ ली। इस पर विपक्ष और सामाजिक धाराओं से परिवारवाद के तीखे आरोप उठे। उपेंद्र कुशवाहा ने इन आरोपों पर मुखर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखकर कहा कि आलोचनाएँ स्वागत योग्य हैं, पर कुछ आलोचनाएँ पूर्वाग्रह से प्रेरित है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि बेटे को मंत्री बनाना उनके लिए आसान फैसला नहीं था, यह कदम पार्टी के अस्तित्व और भविष्य को बचाने के लिए आवश्यक था।
आलोचना को स्वीकार, पर बताए कारण
उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा कि आलोचनाएँ दो प्रकार की होती हैं — स्वस्थ और दूषित। स्वस्थ आलोचनाओं को वे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, जबकि दूषित आलोचनाएँ केवल आलोचनाकार की नियत दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी को शून्य तक जाने से बचाने के लिए यह फैसला "जरूरी और अपरिहार्य" था। वे पुराने समय के अनुभवों का हवाला देते हुए बताते हैं कि पहले भी पार्टी को विलय जैसी अनपॉपुलर रणनीति अपनानी पड़ी थी, जिससे भारी आलोचना हुई और संगठन कमजोर हुआ था।
परिवारवाद पर उनका तर्क और भावनात्मक विकल्प
उपेंद्र ने कहा कि अगर आज का फैसला परिवारवाद कहा जाता है, तो लोग उनकी मजबूरी समझें। उन्होंने बताया कि भविष्य में जनता का आशीर्वाद कितना मिलेगा, यह कहा नहीं जा सकता, पर शून्य तक पहुंचने का खतरा टालना प्राथमिकता थी। उस निर्णय को उन्होंने "समुद्र मंथन" से निकले अमृत और जहर की तुलना देते हुए बताया — कुछ निर्णय आत्मघाती लगते हैं पर पार्टी बचाने के लिए उन्हें लेना पड़ा।
बेटे दीपक पर क्या कहा और अपील आलोचकों से
दीपक प्रकाश के बारे में उपेंद्र ने कहा कि वे मेहनत करके कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर चुके हैं और संस्कार भी मिले हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति पारिवारिक पहचान से नहीं, अपनी काबिलियत और योग्यता से आंका जाना चाहिए। उपेंद्र ने आलोचकों से अनुरोध किया — सवाल उठाइए, पर निर्णय की परिस्थितियों को समझकर उठाइए; दीपक को थोड़ा समय दीजिए, वह खुद को साबित करेगा।